नाहन, 23 जुलाई : अगर दो से तीन दशक पुरानी बात की जाए तो आपके जहन में एक बात ताजा हो जाएगी, इसमें गले-सड़े फलों व गुड इत्यादि के मिश्रण से अल्कोहल तैयार कर लिया जाता था। इसमें वाष्पीकरण की विधि का इस्तेमाल होता था। वैश्विक महामारी में हर कोई इस बात से बखूबी वाफिक है कि जिस सेनिटाइजर का इस्तेमाल कर रहे हैं, उसमें अल्कोहल ही सर्वोच्च मात्रा में होता है।
अब आप यह जानकर हैरान भी होंगे कि दशकों पुरानी अल्कोहल(Alcohol) बनाने की तकनीक का इस्तेमाल मोगीनंद के छात्रों ने सेनिटाइजर(Sanitizer) बनाने में किया है। बासी रोटियों, अनाज व गुड के मिश्रण का इस्तेमाल हुआ है। दीगर है कि गुड में भी अल्कोहल की मात्रा होती है। अनाज व गुड से अल्कोहल का कंपाउंड तैयार करने के बाद स्कूल ने इसे आयुर्वैदिक लैब में टैस्टिंग के लिए पतंजलि व हैदराबाद की प्रयोगशाला(Laboratory of Patanjali and Hyderabad) में भेजने का फैसला लिया है। घरेलू सेनिटाइजर का इस्तेमाल ठीक वैसे हो पाएगा, जैसे बाजार में मिल रहे सेनिटाइजर का होता है।
इस फार्मूले को तैयार करने में छात्रों के सूत्रधार बने विज्ञान प्रवक्ता संजीव अत्री(Science lecturer Sanjeev Atri) का कहना है कि बासी रोटियों को गुड में मिलाकर 4 से 5 दिन तक डिब्बे में बंद रखा जाता है। इसमें बरगद व नीम के पत्तों को भी पीसकर डाला गया। इसके बाद साधारण प्रैशर कुकर में डाल कर भांप को एक बोतल में जमा किया गया। उनका कहना है कि घरेलू सेनिटाइजर(Home Made sanitizer in himachal by school student) को व्यवहारिक रूप से इस्तेमाल में लाने के लिए प्रयोगशाला में टैस्टिंग करवाई जाएगी। अगर प्रमाणिकता साबित होती है तो बड़े स्तर पर इसका उत्पादन किया जा सकता है। बता दें कि स्कूल की उपलब्धियों की लंबी फेहरिस्त है। यहां तक की लगातार कक्षा का रिकॉर्ड दर्ज है। वहीं, स्कूल ने एक मर्तबा नशे के खिलाफ एक मिनट में 7730 कागज के हवाई जहाज बनाकर भी रिकॉर्ड बनाया था।
ये भी हैं घरेलू सेनिटाइजर की खास बातें…
बसी रोटी व गुड इत्यादि के मिश्रण से कैपिक एसिड तैयार होता है। इसमें एंटी बैक्टिरियल व एंटी माइक्रो बैक्टिरियल(Anti Bacterial and Anti Micro Bacterial)पाए जाते हैं। इसे लिक्विड आकार में लाकर सामान्य तरीके से इस्तेमाल में लाया जा सकता है। चूंकि कोरोना को लेकर अब तक भी दुनिया में सटीक दवा या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। लिहाजा, भारत में आयुर्वेद की विधि के सदियों पुराने नुस्खे भी सामने आ रहे हैं।