सोलन: श्रीनगर एयरपोर्ट से शहादत को चूमने वाले 27 साल के भीम बहादुर पुन के पार्थिव शरीर को विशेष विमान के जरिए लाया जा रहा है। 10 माह पहले मिताली से परिणय सूत्र में बंधे भीम बहादुर पुन ने जल्द ही छुट्टी पर घर आने का वायदा किया था। लेकिन इससे पहले माता-पिता के इकलौते बेटे ने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर शहादत को चूम लिया। राइफलमैन भीम बहादुर पुन ने बैटल कैजुएलिटी में 6 नवंबर को शहादत पाई।
सुबाथू के नया नगर में शहीद के घर पर मातम फैला हुआ है। पिता विजय बहादुर व माता मालती देवी अपने बेटे की शहादत पर गौरवान्वित तो हैं, लेकिन इकलौते बेटे को खोने का गम भी आंसुओं के सैलाब के जरिए बह रहा है। बहन निधि ने भाई की शादी के बाद कई सपने संजोए थे। हालांकि शहीद की पलटन 6/1आईजीआर थी, लेकिन शहादत के वक्त 15आरआर में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहा था। शहादत के समय शहीद कुपवाड़ा में एलओसी के समीप तैनात था।
कश्मीर की ऊंची चोटियों पर बुधवार देररात से ही बर्फबारी जारी थी। वैसे शहीद मूलतः उत्तराखंड के देहरादून का रहने वाला था, लेकिन परिवार अब नया गांव में ही सैटल है। उधर अंतिम जानकारी के मुताबिक श्रीनगर के एयरपोर्ट पर शहीद की पार्थिव देह पहुंची चुकी है, लेकिन क्लीयरेंस में विलंब के कारण देरी हो रही है। संभावना जताई जा रही है कि शाम देरी से पहुंचने की सूरत में पार्थिव देह को मिलिट्री अस्पताल कसौली में रखा जा सकता है। देर होने की सूरत में शनिवार को ही शहीद का अंतिम संस्कार हो पाएगा।
उधर सैनिक वैलफेयर बोर्ड के कार्यवाहक उपनिदेशक मेजर दीपक धवन सुबह ही शोक संतप्त परिवार को मिलने पहुंच गए थे। उन्होंने कहा कि शहीद को मिलने वाली ग्रांट व अन्य औपचारिकताओं को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।