एमबीएम न्यूज/नाहन
सिरमौर को इस बार हरेक क्षेत्र में निपुण उपायुक्त के तौर पर आईएएस डॉ. आरके परुथी मिले हैं। शिक्षक पिता स्व. श्री ज्ञान चंद परुथी के बेटे ने एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी के तौर पर प्रदेश में काबलियत का लोहा मनवाया है। हालांकि बतौर उपायुक्त पहली पारी शुरू कर ली है, लेकिन प्रदेश में कई अहम पदों पर रहकर बेहतरीन कार्य किया है। एक मर्तबा कुल्लू के डीसी के छुट्टी पर जाने पर डॉ. परुथी ने इस जनपद का बतौर डीसी कार्यभार चार महीने के लिए संभाला था।
करीब डेढ़ साल से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव रहने के दौरान प्रदूषण को लेकर पापा व आस जैसे अभियानों के सूत्रधार रहे हैं। अधिकारी को जब नई तैनाती मिलती है तो उनसे पहला सवाल यही पूछा जाता है कि प्राथमिकताएं क्या रहेंगी। आप जानकर हैरान होंगे कि तजुर्बेकार आईएएस अधिकारी की प्राथमिकताएं ही अन्यों से जुदा हैं। चूंकि सिरमौर की मारकंडा नदी का पानी कई स्थलों पर नहाने लायक भी नहीं रहा है। साथ ही कालाअंब व पांवटा साहिब की वायु दूषित है। इसके लिए डॉ. परुथी एक प्लान लेकर आ रहे हैं। हरेक उद्योग को अपने दायरे में स्वच्छता व प्रदूषण को लेकर ठोस कदम उठाने होंगे।
उल्लेखनीय है कि डॉ. परुथी के नेतृत्व में चलाए गए पॉल्यूशन अबेटिंग प्लांटस अभियान (पापा) के तहत पौने दो लाख इनडोर व आउटडोर ऐसे प्लांटस रोपित किए गए थे, जिनसे वायु प्रदूषण को काबू किया जा सकता है। पापा अभियान को स्कॉच अवार्ड भी हासिल हुआ था।
मूलतः हरियाणा के पेहवा के पुंडरी के रहने वाले डॉ. परुथी का ससुराल मंडी में है। डॉ. परुथी ने 1991 से 1996 तक पंजाब नेशनल बैंक में कृषि अधिकारी के तौर पर कार्य किया। एग्रीकल्चर में एमएससी की है। यूपीएससी की परीक्षा में दो मर्तबा साक्षात्कार तक पहुंचे। पहली पोस्टिंग कांगड़ा के फतेहपुर में खंड विकास अधिकारी के तौर पर 1996 में शुरू की थी।
ऐसे भी कम ही प्रशासनिक अधिकारी देखने को मिलते हैं, जो अपनी सेवाओं के दौरान छुट्टी लेकर पढ़ाई करते हैं। दो साल तक छुट्टी लेकर प्लांट पैथालॉजी में पीएचडी की है। इसके अलावा 1998 से 2010 तक गौहर, बंजार, डोडराक्वार व हमीरपुर इत्यादि में एसडीएम के तौर पर सेवाएं दे चुके हैं। शिक्षा व आयुर्वेदिक विभाग में निदेशक के पद पर सेवाएं दे चुके डॉ. परुथी को इन विभागों की बारीकियों का भी पता है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में सिरमौर के नवनियुक्त डीसी ने विस्तार से अपनी प्राथमिकताओं का खुलासा भी किया। उनका कहना था कि सिरमौर में मारकंडा नदी का जल बेहद ही दूषित हो चुका है। इसके अलावा कालाअंब व पांवटा साहिब में वायु की गुणवत्ता में जबरदस्त गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि एरिया एडॉप्शन की स्कीम (आस) के तहत ऐसे पौधों को रोपा जाएगा, जिससे वायु व जल प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
उनका यह भी कहना था कि वो डोडराक्वार में भी सेवाएं दे चुके हैं, लिहाजा वो इस बात को भली भांति जानते हैं कि रिमोट एरिया में रहने वाले लोग किस तरह की परेशानियों का सामना करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की 7 नदियां प्रदूषित हैं, जबकि 7 शहरों में वायु दूषित है। इसमें सिरमौर भी शामिल है।
कुल मिलाकर सिरमौर में शायद ऐसा पहली बार होगा, जब प्राथमिकता में सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के साथ-साथ बढ़ते प्रदूषण को लेकर भी चिंता है।