सोलन (एमबीएम न्यूज) : हिमाचल प्रदेश एग्रीकल्चर मार्किटिंग बोर्ड इस बात को लेकर गंभीर है कि आम व केलों को जहरीले रसायन कैल्शियम कार्बाइड में न पकाया जाए। लिहाजा इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था भी जरूरी समझी गई। पता चला है कि पांवटा साहिब व परवाणु में राइपिंग चैंबर के निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया गया है। इस प्रस्ताव को सिरे चढ़ाने के लिए बोर्ड को एक करोड़ रुपए की आवश्यकता पड़ेगी।
जून माह में बोर्ड के निदेशक मंडल की बैठक में यह फैसला लिया गया था कि कार्बाइड के इस्तेमाल को पूरी तरह से रोका जाए, क्योंकि फलों के साथ इसके सेवन से शरीर पर दुष्प्रभाव पड़ते हैं। उत्तर प्रदेश से आमों की खेप सीमांत कस्बे पांवटा साहिब के अलावा परवाणु भी पहुंचती है। कई जिलों में आम की आपूर्ति इन्हीं स्थानों से की जाती है। बताया गया कि उत्तर प्रदेश से आने वाले आम की पैकिंग कार्बाइड के साथ की जाती है। कई मर्तबा इसका इस्तेमाल थोक व्यापारी अपने स्तर पर भी करते हैं।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी कार्बाइड के इस्तेमाल को लेकर अपनी गंभीरता जाहिर कर चुके हैं। पांवटा साहिब में ही लगभग 200 करोड़ रुपए की लागत से टर्मिनल मार्किट के निर्माण पर भी विचार हो रहा है। हाल ही में बोर्ड की टीम ने पांवटा साहिब पहुंच कर सब्जी मंडी से आम व केलों के नमूने लिए थे, जिन्हें परचून में बेचने से पहले कार्बाइड जैसे जहरीले रसायन में पकाया गया था।
दीगर बात यह भी है कि दशकों से आम व केलों को पकाने के लिए कार्बाइड का ही इस्तेमाल होता रहा है। उधर एग्रीकल्चर प्रोडयूस मार्किट कमेटी पांवटा साहिब के चेयरमैन गीता राम ठाकुर ने बताया कि बोर्ड पूरी तरह से कार्बाइड के इस्तेमाल को रोकने के लिए फैसला ले चुका है। उन्होंने कहा कि पांवटा व परवाणु में राइपिंग चैंबर के निर्माण का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
क्या होता है राइपिंग चैंबर?
पूरी तरह से एयरटाइट होता है। विशेष तरह के दरवाजे डिजाइन होते हैं। आद्रता का स्तर ऊंचा रखा जाता है। फुल पावर रैफ्रिजरेशन प्रणाली का इस्तेमाल किया जाता है, ताकि तापमान को नियंत्रित किया जा सके। तापमान नियंत्रण प्रणाली का इस्तेमाल होता है, इससे फल की गुणवत्ता भी बरकरार रहती है।
गैस कंट्रोल व पूरी तरह से स्वचालित वेंटीलेशन व कार्बन डाइऑक्साइड की निकासी की व्यवस्था होती है। इस प्रणाली में फलों के वजन में 5 से 8 प्रतिशत तक गिरावट भी आती है क्योंकि राइपिंग चैंबर में उच्च गुणवत्ता पर आद्रता को नियंत्रित किया जाता है।