नाहन (एमबीएम न्यूज) : सावन का महीना शुरू हो गया है और सावन के पहले सोमवार के चलते शिवालयों में बम-बम भोले के स्वर गूंज रहे हैं। हिन्दू धर्म में श्रावण मास को अति शुभ व फलदायी माना गया है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सावन में देवों के देव भगवान शंकर की पूजा-अर्चना की जाती है। कांवडिय़ों के लिए भी इस माह का विशेष महत्व है।
शिव के भक्त कांवडिए विभिन्न धामों से जल लेकर शिवालयों में कूच करते हैं। भगवे वस्त्र धारण कर कई-कई दिनों की मीलों यात्रा कर कांवडि़ए भगवान शिव के रुद्राभिषेक के लिए निकल पड़ते हैं। माना जाता है कि सावन के व्रत करने से मनचाही इच्छा पूरी होती है।
बेलपत्र से प्रसन्न होते हैं भोले नाथ
श्रावण मास में बेलपत्र का भी विशेष महत्व है। माना जाता है कि भगवान शिव एक हजार कमल के फूल चढ़ाने की बजाए मात्र एक बेलपत्र से अति प्रसन्न हो जाते हैं। इस दौरान बेलपत्र महादेव को प्रसन्न करने का सबसे सुलभ माध्यम है। इसके अलावा दूध, दही, घी, सफेद चंदन, सफेद फूल, भांग-धतूरा भी शिव को अति प्रिय हैं।
क्यों है श्रावण मास महत्वपूर्ण?
सोमवार व्रत में भगवान भगवान शंकर के साथ माता पार्वती और श्री गणेश की भी पूजा की जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार सती ने अपने पिता दक्ष के घर योगशक्ति से शरीर को त्याग दिया था। लेकिन शरीर त्यागने से पूर्व उन्होंने शिव को हर जन्म में अपने पति के रूप में पाने का प्रण लिया था। दूसरे जन्म में देवी सती ने हिमाचल व मैना के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। शिव को पति के रूप में पाने के लिए उन्होंने श्रावण मास में कठोर तपस्या की। उनकी भक्ति व दृढ़ निश्चय से प्रसन्न होकर भगवान ने उनसे विवाह कर लिया। माना जाता है कि शिव-पार्वती के इस मिलन के रूप में श्रावण माह को महत्वपूर्ण माना जाता है।