रेणु कश्यप/नाहन/शिमला
प्रदेश के तीन वीर सिपाहियों को शहीद के तौर पर पहचान दी गई है। हालांकि परिवार को शहीद के रूप में मिलने वाले वित्तीय लाभ नहीं मिलेंगे, लेकिन उन पाठशालाओं में वीरगाथा को अंकित किया गया है, जहां से इन शहीदों ने स्कूली शिक्षा हासिल की थी, ताकि अगली पीढि़यों को भी शहादत की जानकारी रहे। दरअसल देश में अर्द्धसैनिक बलों के अधिकारियों व जवानों को शहीद का दर्जा देने का प्रावधान नहीं था। इस कारण सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के अधिकारी व जवान ऑपरेशन में मौत को गले लगाने वाले शहीद नहीं कहलाते थे। मगर ग्वालियर में एक बैठक हुई थी, जिसमें अर्द्धसुरक्षा बलों के महानिदेशक मौजूद रहे। इसमें सशस्त्र सीमा बल के 48 जवानों को शहीद का दर्जा देने का फैसला किया गया था।
इसमें हिमाचल के भी तीन जवान शामिल रहे। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि अब अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को वित्तीय लाभ के साथ शहीद का दर्जा देने का प्रावधान हुआ है या नहीं, लेकिन बताया जा रहा है कि वित्तीय लाभ भी मिलेंगे। पाठशालाओं में शहीद स्मारक बनने से कम से कम परिवारों को इतना सुकून तो मिला होगा कि उनके घर के लाडले की शहादत को बेशक ही लंबे अरसे बाद ही सही, मगर याद किया गया है।
डिप्टी कमांडेंट विजय सिंह….
असम में पांच दिसंबर 1996 को एक ऑपरेशन के दौरान डिप्टी कमांडेंट विजय सिंह ने कर्त्तव्यपथ पर वीरगति को प्राप्त किया था। उस समय प्रशिक्षण केंद्र सालोनीबाड़ी में तैनात थे। शहीद विजय सिंह का जन्म कमरऊ के दुगाना में गंगाराम के घर हुआ। 1967 में शमशेर वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला नाहन से दसवीं की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद 1971 में डिग्री कॉलेज नाहन से स्नातक की। 1972 में बतौर उप निरीक्षक एसएसबी में भर्ती हुए थे। 6 साल तक नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) में भी सेवाएं दी। आतंकी संगठन उल्फा से मुठभेड़ के दौरान उन्होंने 5 दिसंबर 1996 को अपने प्राण देश पर न्यौछावर कर दिए। अब शमशेर स्कूल में शहीद स्मारक स्थापित किया गया है।
सब इंस्पेक्टर प्रताप सिंह…
सशस्त्र सीमा बल में 15वीं वाहिनी के उप निरीक्षक प्रताप सिंह 26 जुलाई 2010 को असम के बोगाई गांव में आतंकियों का सामना करते हुए शहीद हो गए थे। शहीद प्रताप सिंह की प्रारंभिक पढ़ाई रोहडू उपमंडल के चिडगांव में हुई थी। इसी स्कूल में शहीद स्मारक बनाया जा रहा है। शहीद प्रताप सिंह को करीब से जानने वाले इस बात से खुश हैं कि चाहे आठ साल बाद ही सही, पहचान मिली है।
कांस्टेबल बृज लाल….
21 मई 1964 को जन्में शहीद बृज लाल एसएसबी की पांचवी बटालियन में तैनात थे। उस वक्त बटालियन जम्मू-कष्मीर में तैनात थी। एक ऑपरेशन के दौरान जम्मू-कश्मीर में देश की रक्षा करते हुए 23 जनवरी 2002 को शहादत का जाम पी लिया था। शहीद बृज लाल ने अपनी पढ़ाई वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला गोपालपुर से पूरी की थी। इस स्कूल के छात्र अब शहीद की वीरगाथा से अवगत होंगे। छात्रों को पता चलेगा कि इस स्कूल से पढ़े एक जांबांज सिपाही ने कैसे अपने प्राण देश पर न्यौछावर किए थे।
क्या है अधिकारिक पक्ष…
शिमला में एसएसबी मेडिकल ट्रेनिंग सैंटर में तैनात सीनियर फील्ड असीस्टेंट भाग सिंह ने बताया कि गृह मंत्रालय के माध्यम से तीन जवानों के शहीद स्मारक बनाने के निर्देश मिले थे। इस कार्य को पूरा किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य युवाओं को देश रक्षा के लिए प्राणों की आहूति देने वाले वीर जवानों की गाथाओं से अवगत करवाना है।
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