एमबीएम न्यूज/नाहन
धौलीढांग के गुरदेव श्री श्री 1008 श्री पूर्णानंद जी महाराज के पार्थिव शरीर का मंगलवार दोपहर हरिद्वार में अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का हजूम उमड़ पड़ा। सुबह साढ़े 5 बजे धौलीढांग से महाराज जी के पार्थिव शरीर को 9 बजे के आसपास भरली, राजपुर, अम्बोया, डांडा, पुरुवाला मार्ग सेे पांवटा साहिब पहुंचाया गया। जहां से अंतिम यात्रा हरिद्वार की तरफ रवाना हुई।
गुरु जी के पार्थिव शरीर को सुन्दर फूलों से सुसज्जित वाहन में धौलीढांग आश्रम से हरिद्वार तक ले जाया गया। इस दौरान उनके अनुयायी व श्रद्धालु अंतिम दर्शन भी करते रहे। 8 अक्तूबर 2018 को धौलीढांग आश्रम में यज्ञ, हवन व विशाल भंडारे का आयोजन भी किया जा रहा है। 117 वर्षीय महान संत श्री श्री 1008 पूर्णानंद जी महाराज ने 22 सितंबर की शाम को आश्रम में देह त्याग दी थी। ब्रह्मलीन होने से पहले गुरुजी का स्वास्थ्य खराब होने के चलते उन्हें पांवटा साहिब अस्पताल में भी दाखिल करवाया गया था। उसके बाद देहरादून में भी तीन दिन रहे।
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देह त्यागने से एक दिन पहले ही बातापुल स्थित अपने आश्रम में लौटे थे। गुरुजी के समूचे उत्तर भारत में लाखों शिष्य शोक की लहर में डूब गए। गुरुजी अपने शिष्यों को हमेशा ही अध्यात्म का पाठ सिखाया करते थे। साथ ही इस बात का भी पाठ पढ़ाते थे कि निस्वार्थ भाव से दीन-दुखियों की सेवा करनी चाहिए। उत्तर भारत में सनातन धर्म की अलख जगाने वाले परम संत श्रीश्री 1008 ब्रह्मचारी श्री पूर्णानंद जी के अंतिम दर्शन के लिए अनुयायियों ने मूसलाधार बारिश की भी कोई परवाह नहीं की।
सोमवार को उनका पार्थिव शरीर आंजभोंज क्षेत्र के धौलीढांग आश्रम में अंतिम संस्कार के लिए रखा गया था। राजनीतिज्ञों के अलावा बड़ी संख्या में लोगों ने गुरुजी के अंतिम दर्शन किए।