एमबीएम न्यूज/शिमला
सूबे में राजस्व विभाग के सचिव के पद पर तैनात रहने के दौरान 118 के तहत धड़ाधड़ जमीनों की खरीद को लेकर दी गई मंजूरियों के मामले में आईएएस अधिकारी पी मित्रा पर स्टेट विजीलेंस व एंटी क्रप्शन ब्यूरो ने शिकंजा कस दिया है। आरोप है कि पद पर रहने के दौरान पी मित्रा ने मंजूरियां देने की आड़ में प्रति केस लाखों रुपए की रिश्वत ली थी।
आईएएस पी मित्रा 2010 में राजस्व विभाग के प्रधान सचिव के पद पर रहे थे। सोमवार को विजीलेंस ने मित्रा को पूछताछ के लिए दफ्तर बुलाया था। सूत्रों के मुताबिक विजीलेंस ने मित्रा से पूछताछ के लिए एक प्रश्नावली तैयार की थी। आशंका जाहिर की जा रही है कि पूछताछ के बाद विजीलेंस ने मित्रा को हिरासत में ले लिया है, लेकिन इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। सात साल पुराने इस मामले में विजीलेंस ने दो कारोबारियों को भी नामजद किया था।
25 मई 2018 को क्लोजर रिपोर्ट बना ली गई थी, लेकिन कोर्ट की फटकार के बाद दोबारा जांच शुरू की गई। जानकारी के मुताबिक प्रधान सचिव रहने के दौरान मित्रा ने 118 के तहत जमीनें खरीदने के लिए 200 से 250 मंजूरियां प्रदान की थी। कोर्ट की फटकार के बाद स्टेट विजीलेंस व एंटी क्रप्शन ब्यूरो ने नए सिरे से जांच शुरू की थी। लगभग दो दर्जन लोगों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। इस मामले में पी मित्रा के साथ-साथ कई तत्कालीन अधिकारियों की परेशानी भी बढ़ सकती है।
बताया जा रहा है कि विजीलेंस को फोन रिकार्डिंग मिली है। इसमें भूमि खरीदने की एवज में लाखों रुपए के लेन-देन का जिक्र है। इसी को आधार बनाकर जांच एजेंसी ने दो कारोबारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। मुुख्य सचिव के पद से पी मित्रा 31 मई 2016 को रिटायर हो गए थे। इसके बाद उनकी तैनाती राज्य चुनाव आयुक्त के पद पर एक जून 2016 को हुई थी।
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