घुमारवीं (सुभाष कुमार गौतम): बिलासपुर जिला के हरी देबी मंदिर व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल में मेले का आयोजन रियासत काल के समय से किया जाता है मेले का आयोजन के घुमारवीं उपमंडल की ग्राम पंचायत लैहडी -सरेल में स्थापित प्रसिद्ध हरी देवी मंदिर में रविवार को किया गया ।शिमला से धर्मशाला राष्टीय उच्च मार्ग पर डंगाार से दो कि मी दूर पहाड़ी पर बसे इस मंदिर में हर वर्ष मेले का आयोजन किया जाता है।
शिवालिक हिल रेंज में बसा यह इलाका और भी कई बातों के लिए मशहूर है, जो इस मंदिर कि बजह से जाना जाता है बुजुर्ग लोगों का कहना है कि इस मंदिर की स्थापना बिलासपुर के किसी राजा ने करवाई है, क्योंकि राजा के कोई औलाद नहीं होती थी इसलिए यहाँ आकर मन्नत मांगी थी कि अगर संतान पैदा हो जाए तो माता के लिए मंदिर का निर्माण किया जाएगा ।कहते हैं ,राजा के शीघ्र ही संतान हो गई व राजा ने माता के मंदिर का निर्माण करवाया व जिस दिन वे अपनी संतान के साथ मां के दरबार में आए उस दिन लोगों द्वारा यहाँ मेले का आयोजन किया गया कहते हैं ।
रानी की गोद भर जाने के कारण रानी द्वारा इस माता का नाम हरी देवी रखा गया था और तब से लेकर यहाँ हर साल 21मई को मेले का आयोजन किया जाता है। हमीरपुर व मंडी जिलों की सीमा साथ लगने के कारण लोग आज के दिन अपनी देवी मां व कुल देवी के दर्शन के लिए आते हैं व घर में आई नई गेहूँ की फसल की भेंट चढ़ा कर माता से सुख समृद्धि का बरदान प्राप्त करते हैं।
पिछले दिन शाम को मेले आगाज परंपरा के अनुसार ढोल व नगाड़े को बजा कर किया जाता है। हिमालयन हिल रेंज के अंतर्गत पड़ने वाला यह इलाका ऐसा है कि इसकी गोद में नीचे हरित्लयॉगर गांव है, जिसका नाम भी इसी माता के नाम से पड़ा है और शुरू से ही यह सारा एरिया पुरातत्व विभाग का मुख्य खोज केंद्र रहा है । यहां पर लाखों वर्ष पूर्व आदि मानव पर कई शोध किए गए हैं और अभी भी जारी है।