एमबीएम न्यूज़ /कुल्लू
क्षेत्रीय अस्पताल में दो-दो गायनी विशेषज्ञ के पद खाली पडे़ हुए हैं जिसके चलते महिलाएं एक बार फिर डीसी के दरबार पहुंची। अस्पताल प्रबंधन ने जिस डॉक्टर को निजी अस्पताल से हायर किया हुआ था, उसने भी अस्पताल में सेवाएं देना बंद कर दिया है। ऐसे में प्रसूता महिलाओं को अब रैफर किया जा रहा है। लेकिन महिलाओं द्वारा बदतमीजी करने के आरोप लगाने के बाद डॉक्टर ने सरकारी अस्पताल में सेवाएं देने से साफ इंकार कर दिया है।
अब आलम यह है कि सामान्य रूप से प्रसव होने वाली महिलाओं का प्रसव क्षेत्रीय अस्पताल में ही करवाया जा रहा है लेकिन सिजेरियन और क्रिटिकल कंडिशन में प्रसूता महिलाओं को अंतिम मौके पर रैफर किया जा रहा है। तीन दिन पूर्व क्षेत्रीय अस्पताल की प्रसूता महिलाएं डीसी के दरबार पहुंची थी और उनके माध्यम से मांग की थी कि सरकारी अस्पताल को स्थाई रूप से गायनी डॉक्टर तैनात किया जाए। लेकिन अब तक गायनी डॉक्टर नहीं आने के बाद प्रसूता महिलाओं ने फिर से डीसी के दरवार पहुंचकर सरकार से मांग की है कि डॉक्टर तैनात किया जाए अन्यथा उन्हें कोई और रास्ता अपनाना पडे़गा। क्षेत्रीय अस्पताल में तैनात एमएस एसके मल्होत्रा का कहना है कि तीन-चार दिन पूर्व हुए प्रकरण के बाद निजी अस्पताल के डॉक्टर ने सेवाएं देने से मना कर दिया है जबकि स्थाई रूप से डॉक्टर तैनात करने को लेकर भी निदेशालय और सरकार से पत्राचार किया जा रहा है और सरकार के ध्यान में ये मामला है। प्रबंधन उसके बावजूद भी प्रसूता महिलाओं के लिए कोई न कोई समाधान खोजने में लगा हुआ है। गौरतलब है कि यह जिला प्रदेश के सबसे ताकतवर मंत्री गोविंद ठाकुर का अपना गृह क्षेत्र है, इस ज़िला के मुख्यालय में अगर इस तरह का हाल है तो सोचिए रिमोट इलाको का क्या हाल होगा।
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