मोक्ष शर्मा / नाहन
मौजूदा परिदृश्य में जल्द से जल्द करोड़पति बनने का सपना हर कोई देखता है। अपने इन सपनों को साकार करने के लिए जन्मभूमि से नाता तोडऩे में भी संकोच नहीं किया जाता, लेकिन समाज में चंद युवा ऐसे भी हैं, जो कामयाब होकर अपनी जन्मभूमि के लिए कुछ कर गुजरने की चाह रखते हैं। ऐसे ही एक शख्सियत हैं, श्री साईं मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल नाहन के 41 वर्षीय चेयरमैन डॉ. दिनेश बेदी।
गौरतलब है कि डॉ. बेदी का नाहन में ही नानका है, लिहाजा जुड़ाव बेहद भावनात्मक है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क के जहन में एक सवाल तैर रहा था कि आखिर बड़े शहर को छोडक़र कोई करोड़ों रुपए की लागत से आधुनिक सुविधाओं से लैस अस्पताल में एक छोटे शहर में क्यों खोलेगा। इस सवाल का सीधा जवाब डॉ. दिनेश बेदी से ही मांगा गया। आप यह जानकर आश्चर्यचकित होंगे कि डॉ. दिनेश बेदी ने इस अस्पताल को इस कारण खोला है क्योंकि वो उस शहर के लिए कुछ करने की चाहत रखते थे, जहां उनके जन्म के साथ परवरिश हुई।
करोड़ों का पूंजी निवेश कर चुके डॉ. बेदी अब भी अस्पताल को और बेहतरीन बनाने के लिए खर्चे की परवाह नहीं कर रहे हैं। महज 30 से 40 हजार आबादी वाले शहर के लिए मल्टी स्पेशलिटी अस्पताल बनाना किसी जोखिम से कम नहीं है, क्योंकि खर्चे की भरपाई करना भी रिस्की है। 30 अगस्त 1977 को जन्मे डॉ. बेदी ने अपनी दसवीं तक की पढ़ाई एवीएन स्कूल से पूरी करने के बाद कॉलेज से जमा दो की पढ़ाई की।
हमेशा से ही टॉपर रहने वाले डॉ. दिनेश ने शिमला आईजीएमसी से एबीबीएस करने के बाद 2006 में एमएस की पढ़ाई पूरी की। आज खुद जनरल सर्जरी व लैप्रोस्कॉपी के महारथी हैं। पिता डॉ. राकेश बेदी, पशुपालन विभाग में निदेशक के पद से 2006 में रिटायर हुए थे। पत्नी डॉ. श्रद्धा बेदी भी एक कुशल स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं। हरियाणा के अंबाला में फुटबॉल चौक के समीप श्री साईं अस्पताल के चेयरमैन के तौर पर भी डॉ. बेदी कसौटी पर खरा उतर रहे हैं। यानि छोटी उम्र में दूसरा अस्पताल स्थापित कर दिखाया है।
क्या बोले…
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में डॉ. दिनेश बेदी ने कहा कि मेडिकल प्रोफैशन में आने के बाद से ही एक सपना संजोया था। उन्होंने बचपन से ही देखा है कि शहर में आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। मौका मिलते ही एक-डेढ़ साल के भीतर अस्पताल को तैयार किया। एक सीधा सवाल पूछा गया कि लोगों को यह लगता है कि निजी स्वास्थ्य सेवाओं में ठगी बड़े पैमाने पर होती है। इस पर बोले, करीब 10-15 सालों से कॉरपोरेट सेक्टर ने इस क्षेत्र प्रवेश किया है। यहां इतनी अधिक पूंजी निवेश कर दिया जाता है कि आमदनी बढ़ाने के तरीके ढूंढे जाते हैं। डॉ. बेदी ने कहा कि वो व्यक्तिगत तौर पर एक चिकित्सक हैं, लिहाजा हर बात को बखूबी समझते हैं। उन्होंने कहा कि वह बेहद खुश हैं कि उस शहर में कुछ करने का मौका मिला है, जहां की गलियों व सडक़ों पर बचपन बिता है। उन्होंने कहा कि बचपन के दोस्तों से मिलना बेहद सुखद अनुभव है। गौरतलब है कि यह अस्पताल करीब चार महीने पहले ही वजूद में आया था।