शिमला (शैलेंद्र कालरा): बात महज तीन महीने पुरानी है। 14 सितंबर 2017 को सूबे के 13वें मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इत्तफाकन थुनाग तहसीलदार की कुर्सी पर बैठ गए थे। शिकारी माता मंदिर के आय-व्यय को लेकर बैठक रखी गई थी। सराज विधानसभा के विधायक जयराम ठाकुर की तस्वीर वायरल हो गई। आलोचनाएं हुई तो सकारात्मक प्रतिक्रियाएं भी आई।
सोचिए, इस दिन किसी को भी इल्म नहीं था कि महज 103 दिन के भीतर ही जिस शख्स की तहसीलदार की कुर्सी पर बैठने को लेकर आलोचना हो रही है, वह व्यक्ति प्रदेश का 13वां मुख्यमंत्री बन जाएगा। एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने जब वायरल तस्वीर से संबंधित खबर प्रकाशित की थी तो यकीन मानिए, उस समय भी आलोचनात्मक खबर को जयराम ठाकुर ने बेहद सकारात्मक तरीके से लिया।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क को जब फोन किया तो बेहद शालीनता से बात कर रहे थे। केवल नेटवर्क के संचालन को लेकर फीडबैक लिया। कतई भी इस बात से नाराज नहीं हुए कि उनको लेकर क्यों नैगेटिव खबर प्रकाशित की गई है। उस वक्त न तो जयराम ठाकुर पांचवी बार विधायक बने थे, न ही उनके विधानसभा क्षेत्र में कोई सपने में भी सोच रहा था कि 52 साल का बेटा मुख्यमंत्री बन जाएगा। मुख्यमंत्री बने जयराम ठाकुर के परिवार की सादगी के साथ-साथ दिवंगत पिता के संघर्ष की बात आज मीडिया में सुर्खियां बनी हैं।
तहसीलदार की कुर्सी पर बैठे जयराम ठाकुरमुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की शालीनता व सादगी को एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने खुद महसूस किया है। अमूमन चाहे राजनीतिज्ञ हो, चाहे आला अफसरशाही, एक नैगेटिव खबर प्रकाशित होने पर तिलमिला जाते हैं। लेकिन जयराम ठाकुर आलोचनाओं को भी सहज कर सबक लेने में माहिर नजर आते हैं। संभवत: यह भी वजह हो सकती है कि मुख्यमंत्री पद के लिए जयराम ठाकुर ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की पसंद बन गए हों।