शिमला (शैलेंद्र कालरा): सोचिए, पलक झपकते ही आपका घर राख के ढेर में तबदील हो जाए, आप पर क्या गुजरेगी। शायद कल्पना भी न की जा सके। लेकिन रोहडू उपमंडल की चिडग़ांव तहसील के तांगणू गांव के 48 परिवारों के लगभग 250 सदस्य बेघर हैं। मकर संक्राति के पावन अवसर पर नींद के आगोश में थे। अचानक ही गांव में लपटें उठने लगी। पलक झपकते ही पूरा गांव आग के ढेर में तबदील हो गया।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क को मौके से मिली तस्वीरें व वीडियो फुटेज इस बात की तस्दीक कर रही हैं कि चंद घंटों में ही अपना सबकुछ गंवा चुके लोगों को दर्द संभाले नहीं संभल रहा है। करीब-करीब तमाम परिवार मध्यम वर्ग के हैं। सेब के बगीचों से आमदनी तो है, लेकिन इतनी भी नहीं कि चंद महीनों में अपने आशियाने दोबारा बना लें। अब तक के आंंकड़ों के मुताबिक 56 घर पूरी तरह से नष्ट हुए हैं। इसमें 48 परिवारों के 250 सदस्य स्कूल भवन में शरण लेने को मजबूर हुए हैं।
देवभूमि में इस साल की पहली सबसे बड़ी दर्दनाक घटना है। हालांकि कारणों को लेकर जांच की जा रही है, लेकिन अब तक की प्रारंभिक छानबीन में यही पता चला है कि लंबरदार के घर पर शार्टसर्किट हुआ, जिससे भडक़ी आग ने पूरे गांव को चपेट में ले लिया। क्षेत्र में बर्फ पड़ी हुई है। कंपकपाती ठंड में बेघर लोगों को सरकारी भवनों में शरण दी गई है। प्रशासनिक स्तर के साथ-साथ आसपास के गांव के लोग मदद को हाथ बढ़ा रहे हैं। लेकिन जिन परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूटा है, वह बेहाल हैं।
सुबह जब सूरज की किरण फूटी तो रात भर जाग रहे लोगों को तबाही का मंजर साफ दिखने लगा। उस समय प्रभावितों की आंखें नम हो उठी। हालांकि नुकसान का जायजा भी लिया जा रहा है, लेकिन मोटे तौर पर 10 से 12 करोड़ के नुकसान की आशंका जताई जा रही है। भयंकर अग्रि ने सिर्फ जान बचाने का ही मौका दिया। घर से बाहर गिलास तक उठाने का मौका नहीं मिला।
एसपी डीडब्ल्यू नेगी ने कहा कि कारणों को लेकर जांच की जा रही है। नुकसान का आंकड़ा स्पष्ट नहीं हुआ है।