भोपाल(एमबीएम न्यूज): भारत भवन भोपाल में चल रहे बादल राग कला उत्सव में पिछले कल हिमाचल प्रदेश की पारंपरिक पहाड़ी चित्रकला का दिवस था। इसमें हिमाचल कला संस्कृति और भाषा अकादमी के पूर्व सचिव, साहित्यकार सम्पादक डॉ. तुलसी रमण ने पहाडी लाघुचित्रकला और मध्यकालीन काव्य विषय पर व्याख्यान दिया डॉ. रमण ने इससे पूर्व हिमाचली चित्रकारों के पहाडी चित्रों की प्रदर्शनी का भी उदघाटन भी किया।
डॉ. तुलसी रमण ने अपने व्याख्यान में कहा कि कला-सौंदर्य के लिए विश्व प्रसिदध पहाड़ी चित्रकला ने अपनी दीर्घ परंपरा में अनेक पीढिय़ों चित्रकारों और सौंदर्य शास्त्रीयों पर अपनी अमित छाप छोड़ी है। उन्होंने कहा कि मध्यकालीन भक्तिधारा उत्तर भारत को दक्षिण की परंपरा से जोडऩे वाली रही है और पहाडी कला के चित्र आज भी देश-विदेश के अनेक संग्रहालयों में हिमाचल की धरोहर के रूप में संरक्षित हैं।
डॉ. रमण के व्याख्यान के बाद पहाडी कला गुरू पद्मश्री विजय शर्मा ने पावर प्याइंट के माध्यम से पहाड़ी लघु चित्रों का एक चयन व्याख्या सहित दर्शाया। इस व्याख्यान की अध्यक्षता करते हुए कवि उदयन वाजपेयी ने कहा कि रीतिकालीन काव्य और कला मनुष्य और प्रकृति के संंबंध को दर्शाते हैं और श्रृंगार रस इस संबंध को आधार देता है।
उल्लेखनीय है कि स्थानीय आदिवासी संग्रहालय में पिछले दस दिनों से हिमाचल के 12 चित्रकारों की एक कार्यशाला चल रही थी। विजय शर्मा के निर्देशन में संपन्न हुई इस कार्यशाला में तैयार किए गए चित्र ही इस प्रदर्शनी में दिखाए गए हैं। प्रदर्शनी के उदघाटन के बाद डॉ. तुलसी रमण का भारत भवन के अतरंग में पहाड़ी चित्रकला विषयक व्याख्यान रखा गया था।