नेता
राजनीति में आते ही
जिनकी गर्दन अकड़ जाती है
नेता वही है
जिसके घर लक्ष्मी आ जाती है।।
रग-रग में जिनकी
झूठ समाया रहता है
हर शख्स जिन्होंने
अपनी बातों से उलझाया रहता है
अपनी कही बात से
बार-बार मुकरता है
नेता वही है-
जो गिरगिट की तरह
रंग बदलता है।।
जनता के वोट पाकर भी
जो उनके हित में कुछ न करे
सोचता रहे कुर्सी कैसे मिले
देश तरक्की करे न करे
नेता वही है-
जो कुछ भी न करे।।
नाम पर जिसके कोई कांड हो
सजा का न कोई नाम हो
जो शरण दे अपराधी को
नेता वही है-
जो प्यार करे बस कुर्सी को।।
नेता से भयंकर
दूसरा कोई जीव नहीं होता
ये वो जीव है जिसका
कोई ईमान-धर्म नहीं होता
कुर्सी ही जिसकी माई-बाप
कुर्सी ही ईमान-धर्म
कुर्सी ही सबकुछ होती है
नेता वही है-
कुर्सी है तो नेता है
बिना कुर्सी के नेता
कुछ भी तो नहीं होता।।
कवि-पंकज तन्हा
नाहन, जिला सिरमौर (हिप्र)
काव्य संग्रह- शब्द तलवार है