नई दिल्ली, 17 सितम्बर: जम्मू-कश्मीर के उच्च ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात 22 भारतीय सैनिकों ने पिछले तीन वर्षों के दौरान बिना किसी लड़ाई के अपनी शहादत दी है। सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier) और अन्य उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में होने वाली मौतों के कारण सीधे उच्च ऊंचाई (Higher Altitude) वाले क्षेत्रों जैसे हाई एल्टीट्यूड पल्मोनरी ओडामा (High Altitude Pulmonary Edema) और पल्मोनरी थ्रोम्बोइम्बोलिज्म (पीटीई) से लेकर अन्य कारण हैं। वर्ष 2019 में इन उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों पर देश की सेवा एवं सुरक्षा में तैनात आठ जवानों ने शहादत दी, जबकि 2018 में भी सेना के इतने ही जवान शहीद (Martyrdom) हो गए। इसके अलावा 2017 में कुल छह सैनिकों ने ऊंचाई वाले स्थानों की कठिन परिस्थितियों में अपनी शहादत दी।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद गौदर मल्लिकार्जुनप्पा सिद्धेश्वरा के प्रश्न के लिखित उत्तर में रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को संसद में इसका खुलासा किया। रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक ने बुधवार को लोकसभा में सूचित किया, “यह एक तथ्य है कि उच्च ऊंचाई पर पर कुछ सैनिकों ने अपनी शहादत दी है।”
सियाचिन जैसी उच्च ऊंचाई पर ड्यूटी (Duty) करने वाले सैनिकों को इस तरह की हताहतों की संख्या को रोकने और सुरक्षित माहौल प्रदान करने के लिए की गई सरकारी कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर, मंत्री ने कहा, “भारतीय सेना जम्मू एवं कश्मीर में सीमाओं (Borders) पर अत्यधिक जोखिम (High risk) भरे इलाकों में तैनात है, जहां निरंतर सैनिकों को हिम-दरार (क्रेवेस), हिमस्खलन और मौसम संबंधी अन्य आपदाओं का खतरा रहता है।”
उन्होंने कहा कि सरकार पूर्व-उपचारात्मक चिकित्सा परीक्षा (Medical examination) जैसे आकस्मिक चिकित्सा के उपचार को लेकर कदम उठाती है। उन्होंने कहा कि किसी भी उच्च ऊंचाई की बीमारी से निपटने के लिए अच्छी तैयारी की जाती है। उपचार के साथ ही कठिन परिस्थितियों में विशेष प्रशिक्षण (Special training) का प्रावधान भी है। उन्होंने निचले सदन को बताया कि विशेष आश्रयों सहित विशेष कपड़ों और उच्च गुणवत्ता वाले राशन का प्रावधान भी है। उन्होंने कहा कि बचाव अभियानों के लिए आधुनिक तकनीकी उपकरणों (latest equipment) का उपयोग करने, दुर्घटनाओं को रोकने और नियमित रूप से सलाह जारी की जाती है।
भारतीय सेना (Indian Army) के पर्वतीय क्षेत्र में युद्ध (War) का अनुभव और कुशल रणनीति (Strategy) उन्हें ‘क्षेत्र में सबसे कुशल’ बनाती है। जम्मू एवं कश्मीर (Jammu & Kashmir) में उत्तरी सीमाओं से लेकर देश के पूर्वी भाग में अरुणाचल प्रदेश तक, बड़ी संख्या में भारतीय सैनिकों को पहाड़ों में तैनात किया गया है और उन्होंने बर्फीले परिदृश्य के साथ-साथ लद्दाख की कठोर बंजर भूमि (Barron Land) पर भी लड़ने की कला में महारत हासिल की है। यही वह क्षेत्र है, जहां वे वर्तमान में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सैनिकों के साथ गतिरोध (Conflict) की स्थिति में है।
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