मंडी (वी.कुमार) : हिमाचल प्रदेश में खेल ढांख सुदृढ़ करने का दावा करने वाली सरकार के दावों की पोल खुल गई है। इन दिनों प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों में खंड स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। विधायक से लेकर सरकार के सीपीएस और मंत्री सहित बोर्डों और निगमों के चेयरमैन इन प्रतियोगिता की ओपनिंग और क्लोजिंग में जाकर सरकारी योजनाओं का खूब ढिंढोरा पीट रहे हैं। स्कूल प्रबंधन को इन नेताओं को बुलाना एक तरह से मजबूरी भी होता है और इनकी आवभगत पर जो खर्चा होता है वह स्कूल प्रबंधन को मांगकर उठाना पड़ता है।
जी हां स्कूलों में जो प्रतियोगिताएं होती हैं उसके लिए सरकार की तरफ से नाममात्र का बजट ही दिया जा रहा है। प्रतिदिन प्रति बच्चे को खुराक के तौर पर मात्र 60 रूपये दिये जा रहे हैं। आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि जहां दाल और सब्ज्यिों के भाव आसमान छू रहे हों वहां एक खिलाड़ी छात्र को मात्र 60 रूपये में कितनी खुराक दी जा सकती है।
यही कारण है कि स्कूल प्रबंधन बच्चों को उचित खुराक देने के लिए कभी स्थानीय लोगों से सहयोग मांगता है तो कभी दानी सज्जनों से मदद की गुहार लगाता है। कभी पंचायतों का दरवाजा खटखटाया जाता है तो कभी स्कूल में कार्यरत कर्मचारियों से सहयोग मांगा जा रहा है। इसी तरह से इन दिनों खंड स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन हो रहा है।
प्रतियोगिता में भाग लेने आये बच्चों को रोजाना तीन मर्तबा खाना दिया जाता है, जिसमें सुबह का नाश्ता, दोपहर और शाम का भोजन तथा दो वक्त चाय। आप खुद की अंदाजा लगा लिजिये कि इतना सबकुछ क्या 60 रूपये में आ सकता है। ऐसा भी नहीं कि स्कूलों की तरफ से सरकार को वास्तु स्थिति से अवगत नहीं करवाया गया है, लेकिन सरकार इसमें बढ़ोतरी के नाम पर अभी तक कुछ भी नहीं कर पाई है।
बता दें कि राज्य की कांग्रेस सरकार खुद केंद्र सरकार पर महंगाई बढ़ाने का आरोप लगाती है लेकिन मौजूदा सरकार अपने स्कूलों में खुराक के नाम पर मात्र 60 रूपये देकर महंगाई को दरकिनार कर रही है। ऐसे में सवाल उठते हैं कि क्या ऐसे बेहतर खिलाडि़यों की उम्मीद की जा सकती है, शायद नहीं।