नाहन (शैलेंद्र कालरा): एक धारणा रही है, चूड़धार चोटी सिरमौर जनपद में है, जबकि ठीक चोटी के साथ नीचे भगवान शिरगुल का प्राचीन मंदिर शिमला जिला में है। लेकिन अब यह बात सामने आ रही है कि प्राचीन मंदिर भी सिरमौर जनपद में है।
हालांकि शिमला के डीसी रोहण ठाकुर समेत संगड़ाह प्रशासन जानकारी होने से इंकार कर रहा है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक वन्यप्राणी विभाग की पहल पर चोटी की निशानदेही करवाई गई, क्योंकि विभाग चोटी के तीन हेक्टेयर क्षेत्र को आरक्षित वन क्षेत्र से बाहर करना चाहता है।
एमबीएम न्यूज को मिली पुख्ता जानकारी के मुताबिक रविवार को चोटी पर नौहराधार के अलावा शिमला के पुलबाहल, कुपवी व चौपाल क्षेत्रों के राजस्व अधिकारी पहुंचे, ताकि निशानदेही को अमल में लाया जा सके। भगवान शिरगुल जी महाराज, सिरमौर समेत शिमला जिला में लाखों परिवारों के आराध्य देव हैं।
अब तक प्राचीन मंदिर का कामकाज शिमला के चौपाल एसडीएम के हवाले रहा है। साथ ही सरैन में विजट जी महाराज का भी प्राचीन मंदिर है, जो रिश्ते में भगवान शिरगुल के भाई माने जाते है। चोटी की यात्रा को तब मुकम्मल माना जाता है, जब श्रद्धालु हरिपुरधार में मां भंगयाणी माता के मंदिर में शीश नवाजते हैं। कुल मिलाकर इस चोटी की आस्था से जुड़ी यह नई बात है कि प्राचीन मंदिर भी सिरमौर का हिस्सा है।
चोटी पर निशानदेही के लिए पहुंची टीम।उधर शिमला के डीसी रोहण ठाकुर से जब इस बारे बात की गई तो उन्होंने कहा कि अंतर जिला निशानदेही का यह तरीका नहीं है। फिर भी जानकारी जुटाने के बाद ही अधिक बात बता सकते हैं। वहीं सिरमौर के संगड़ाह के एसडीएम रजनीश कुमार ने भी इसी तरह की बात कही है।