नाहन (एमबीएम न्यूज) : त्रिभोवनी मंदिर में मार्गशीर्ष मास के चौथे व अंतिम रविवार को हजारों श्रद्धालुओं ने शीश नवाया। दिन भर मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। नौ बजे के बाद मंदिर में लाईन लगनी शुरू हो गई थी, जो शाम तक नहीं टूटी। सिरमौर जिला में पशुओं की रक्षा करने वाली पशुओं की देवी के नाम से प्रख्यात माता त्रिभोवनी मंदिर में रविवार को हजारों श्रद्धालुओं ने माथा टेका और अपने पशुओं के कुशल, रोगमुक्त होने की कामना की।
नाहन विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली कौलावालाभूड़ पंचायत में पडऩे वाले इस मंदिर में रविवार तडक़े से ही श्रद्धालुओं का हूजूम लगना शुरू हो गया था, जो देर शाम तक जारी रहा। त्रिभोवनी मंदिर में हर वर्ष मार्गशीर्ष व आषाढ़ मास में आने वाले प्रत्येक रविवार को मेला लगता है। महीने के तीसरे और चौथे रविवार को यहां श्रद्धालुओं की संख्या बहुत अधिक होती है।
इस मंदिर में कौलावालाभूड़, बर्मा पापड़ी, क्यारी, सराहां, टिक्कर, मढ़ीघाट, बनाह की सैर, सैनधार, धारटीधार, बनेठी, गांवत, नैनाटिक्कर, घिन्नीघाढ़, जमटा सहित सैकड़ो गांवों के हजारों लोगों के अतिरिक्त हरियाणा के मोरनी क्षेत्र से भी हजारों लोग अपने पशुओं की सुरक्षा व रोगमुक्त रहने के लिए मन्नत मांगते हैं। मन्नत पूरी होने पर वे यहां आकर माता त्रिभोवनी को घर से बनाकर लाया प्रसाद लगाते हैं।
इसके अलावा लोग घी, अनाज व अन्य सामग्री भी माता के चरणों में अर्पित करते हैं। कौलावालाभूढ़ पंचायत के पूर्व प्रधान धनवीर सिंह ठाकुर ने बताया कि त्रिभोवनी माता की शक्ति अपार है, जो श्रद्धालु मन से मन्नत मांग लेता है वह अवश्य ही पूरी होती है।
धनवीर सिंह ठाकुर ने बताया कि जहां पर माता का मंदिर बना है, वहां हजारों वर्ष पूर्व शिवजी व माता पार्वती ने विश्राम किया था। माता पार्वती को यहां स्थान काफी पसंद आया था। इस स्थान पर लोगों को मूर्तियां मिली थी। इसके बाद लोगों ने यहां पूजा-अर्चना शुरू की। आज यहां पर काफी बढ़ा मंदिर बना दिया गया है। मंदिर के पुजारी दुर्गा दत्त बताते है कि मार्गशीर्ष व आषाढ़ मास में हर रविवार को यहां मेला लगता है।
इसके अलावा कई रविवार को भी इस मंदिर में श्रद्धालु आते हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में उनके अलावा सुनील दत्त, मनमोहन भगत, मदन मोहन भगत, धर्मदत्त इस मंदिर में आयोजन व रखरखाव की जिम्मेदारी संभाले हैं। इस देवी को पशुओं की देवी के नाम से भी जाना जाता है।