कुल्लू (एमबीएम न्यूज): सैंज घाटी के शांघड़ में सीएम वीरभद्र सिंह का दौरा इतिहास के पन्नों में दर्ज हुआ है। इसकी दो बड़ी वजह हैं। पहली है, आज तक इससे पहले कोई सीएम यहां नहीं पहुंचा था। दूसरी यह कि बुशहर के राजा के थड़े पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह बैठे। इन पलों के गवाह हजारों लोग बने। पत्थर के थड़े पर बैठने का अवसर वीरभद्र सिंह को सीएम होने के नाते नहीं मिला, बल्कि बुशहर परिवार का सदस्य होने की वजह से मिला।
बुशहर के राजा के थड़े पर विराजमान वीरभद्र सिंह।सीएम के आगमन को लेकर हजारों लोगों को बेसब्री से इंतजार था, क्योंकि हर कोई मुख्यमंत्री को पलकों पर बिठा लेना चाहता था। शुक्रवार सुबह शांघड़ पहुंचे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने करोड़ों की योजनाओं के शिलान्यास व उदघाटन किए। उधर 6 अप्रैल 2015 को जलकर राख हुए प्राचीन मंदिर में आज से विधिवत पूजा-अर्चना शुरू हो गई है। 18 महीने के वक्त में मंदिर को तैयार कर दिया गया।
शांघड़ में देवता को लाते स्थानीय लोग।इस मौके पर बोले वीरभद्र सिंह…
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि, देश की प्राचीन देव परंपराएं हमारे समाज का अटूट हिस्सा हैं। यहां की देव परंपराएं समाज में खुशी व गम में बराबर की सांझेदार बनती हैं। सीएम ने फिर दोहराया कि पुराने मंदिरों का संरक्षण सबकी संयुक्त जिम्मेदारी है। इन मंदिरों में पारंपरिक ढंग से पूजा-अर्चना जारी रखी जानी चाहिए। सनद रहे कि मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन से पहले शंगचूल महादेव मंदिर की प्रतिष्ठा समारोह में भी शिरकत की। अपने संबोधन में सीएम ने एचपीसीए पर भी निशाना साधते हुए कहा कि सरकार की शालीनता को कमजोरी न समझा जाए।
…तो क्या महेश्वर सिंह का दबदबा हुआ कम।
शांघड़ में जिस तरह से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को बुशहरी थड़े पर बिठाया गया, उसके बाद से राजनीतिक चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं। दरअसल कुल्लू घाटी में राजपरिवार को लेकर महेश्वर सिंह का दबदबा रहा है।
शायद, राजनीति के लिहाज से यह पहली बार हुआ है कि घाटी में बुशहर राजघराने से संबंधित मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को तवज्जो मिली है। शांघड़ प्रवास के दौरान महेश्वर सिंह के छोटे भाई व आयुर्वेद मंत्री कर्ण सिंह भी मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के साथ साए की तरह रहे। कुल मिलाकर वक्त ही बताएगा कि असल बात क्या है।