कुल्लू (एमबीएम न्यूज): सैंज घाटी के शांघड़ में शुक्रवार को इतिहास बनने जा रहा है। यहां, पत्थर के एक खास थड़े को शामियाना में कवर किया गया है, क्योंकि इस खास गद्दी पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह विराजमान होंगे। हर किसी के मन में यह सवाल उठ सकता है, ऐसा क्यों। सैंकड़ों वर्ष बाद बुशहर राज परिवार का कोई सदस्य यहां पहुंच रहा है। इस धार्मिक रिवायत में वीरभद्र सिंह को इस थड़े पर इस वजह से शंगचूल देवता ने अनुमति दी है, क्योंकि वह बुशहर राजघराने के सदस्य हैं।
इतिहास के मुताबिक सैंकड़ों साल पहले शंगचूल महादेव के दर्शन के लिए स्वयं राजा भाद्र सिंह यहां आए थे। यह इत्तफाक ही है कि बुशहर राजघराने से ताल्लुक रखने वाले वीरभद्र सिंह इस वक्त सूबे के मुख्यमंत्री भी हैं। इसी के नाते उनका आगमन इलाके में काफी चर्चा में है। दीगर है कि शांघड़ में देवता शंगचूल के नाम पर सैंकड़ों बीघा में फैला मैदान भी है। ऐसी भी धारणा है कि शंगचूल देवता किन्नौर घाटी से यहां आए थे।
6 अप्रैल 2015 को प्राचीन मंदिर आग की भेंट चढ़ गया था। देवता के स्वर्ण रथ को बचा लिया गया था। इसके जीर्णोद्धार में वीरभद्र सिंह ने खासी दिलचस्पी दिखाई, जो अब अपनी आन-बान-शान के साथ फिर तैयार हो चुका है। इसकी प्रतिष्ठा में भी सीएम को भाग लेना है। अब चूंकि इस इलाके में पहली बार कोई मुख्यमंत्री आ रहा है, लिहाजा लोगों का जोश भी परवान पर है। मंदिर के प्रांगण में ही तराजू स्थापित कर दिया गया है, जिसमें मुख्यमंत्री को सिक्कों से तोला जाएगा।
स्थानीय निवासी महेंद्र पासरा के अनुसार पत्थर के थड़े पर केवल बुशहरी राजघराने के सदस्य को ही बैठने की अनुमति मिली है। उनके मुताबिक छोटे से गांव में आजादी के बाद पहली बार कोई मुख्यमंत्री पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि मौजूदा पीढ़ी को यह भी ठीक से याद नहीं है कि इस पत्थर के थड़े पर पहले कौन, कब बैठा था।
उधर कुल्लू की जनसभा में वीरभद्र सिंह ने फिर दोहराया है कि रघुनाथ मंदिर का निर्माण सरकार करेगी, जो सबके लिए खुला रहेगा। सीएम ने कहा कि यह एक निजी मंदिर नहीं होगा, जैसा की कुल्लू के एक राजसी घराने द्वारा दावा किया जा रहा है। सीएम ने कहा कि भगवान किसी एक व्यक्ति की संपत्ति न होकर सभी के हैं। विशेषकर जब कुल्लू घाटी के कुल देवता की बात हो।