नाहन (एमबीएम न्यूज): सिरमौर जिला में पशुओं की रक्षा करने वाली पशुओं की देवी के नाम से प्रख्यात त्रिभोवनी मंदिर का इतिहास भगवान शिव व पार्वती माता से जुड़ा है। किदवंती के मुताबिक वर्तमान में जहां पर माता का मंदिर बना है, वहां हजारों वर्ष पूर्व भगवान शिव व माता पार्वती ने विश्राम किया था। माता पार्वती को यह स्थान काफी पसंद आया था।
इस स्थान पर लोगों को मूर्तियां भी मिली थी, जिसके बाद यहां लोगों ने पूजा अर्चना शुरू की। वर्तमान में आज यहां काफी बड़ा मंदिर बना दिया गया है। यह मंदिर त्रिभोवनी मंदिर के नाम से प्रचलित है। कहते हैं कि त्रिभोवनी माता पशुओं की रक्षा करने वाली पशुओं की देवी के नाम से भी जानी जाती है। दूसरी तरफ कौलांवालाभूढ़ पंचायत के पूर्व प्रधान धनवीर सिंह ठाकुर ने बताया कि त्रिभोवनी माता की शक्ति अपार है, जो श्रद्धालु मन से मन्नत मांग लेता वह अवश्य ही पूरी होती है।
10 हजार श्रद्धालुओं ने नवाया शीश
त्रिभोवनी मंदिर में आषाढ़ मास के तीसरे रविवार को करीब दस हजार श्रद्धालुओं ने शीश नवाया। पूरे दिन भर मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। नौ बजे के बाद मंदिर में लाईन लगनी शुरू हो गई थी, जो शाम नहीं टूटी। नाहन विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली कौलांवालाभूड़ पंचायत में पडऩे वाले इस मंदिर में तडक़े से ही श्रद्धालुओं का हूजूम लगना शुरू हो गया था, जो देर शाम तक जारी रहा। त्रिभोवनी मंदिर में हर वर्ष आषाढ़ मास में आने वाले प्रत्येक रविवार को मेला लगता है। महीने के तीसरे और चौथे रविवार को यहां श्रद्धालुओं की संख्या बहुत अधिक होती है।
पशुओं की सुरक्षा के लिए मांगते हैं मन्नत
इस मंदिर में कौलावालाभूड़, बर्मा पापड़ी, क्यारी, सराहां, टिक्कर, मढ़ीघाट, बनाह की सैर, सैनधार, धारटीधार, बनेठी, गांवत, नैनाटिक्कर, घिन्नीघाढ़, जमटा सहित सैंकड़ो गांवों के हजारों लोगों के अतिरिक्त हरियाणा के मोरनी क्षेत्र से भी हजारों लोग अपने पशुओं की सुरक्षा व रोगमुक्त रहने के लिए मन्नत मांगते हैं। मन्नत पूरी होने पर वे यहां आकर माता त्रिभोवनी को घर से बनाकर लाया प्रसाद लगाते हैं। इसके अलावा लोग घी, अनाज व अन्य सामग्री भी माता के चरणों में अर्पित करते हैं।
क्या कहते हैं मंदिर के पुजारी?
मंदिर के पुजारी दुर्गा दत्त बताते है कि आषाढ़ मास में हर रविवार को यहां मेला लगता है। इसके अलावा मार्गशीर्ष मास में भी इस मंदिर में श्रद्धालु आते हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में उनके अलावा सुनील दत्त, मनमोहन भगत, मदन मोहन भगत, धर्म दत्त इस मंदिर में आयोजन व रखरखाव की जिम्मेवारी संभाले हैं। इस देवी को पशुओं की देवी के नाम से भी जाना जाता है।