रेणु कश्यप/नाहन
लाखों श्रद्धालुओं की आस्था की प्रतीक चूड़धार चोटी पर 12 फुट बर्फबारी के बावजूद प्राचीन शिरगुल मंदिर में नियमित पूजा-अर्चना जारी है। कठिन से कठिन परिस्थितियों के बावजूद भी धार्मिक रिवायत को जारी रखा जा रहा है। स्वामी श्यामानंद जी आश्रम से मंदिर तक बर्फ की गुुफा बनाई गई है, ताकि ब्रह्मचारी कमलानंद जी इस रास्ते से मंदिर तक पहुंच सकें। यह तरीका चोटी पर तब अपनाया जाता है, जब भारी बर्फबारी हो जाए।
हालांकि नियमित पूजा के मकसद से दो साल पहले आश्रम से मंदिर के बीच शैडनुमा गुफा भी बनाई गई थी। लेकिन बर्फ से ढक जाने के कारण गुफा बनानी ही पड़ी है। बताते यह भी हैं कि 80 के दश क में चोटी पर 40 फुट के आसपास बर्फ पड़ती थी। आज भी चोटी पर इतनी बर्फ के बीच केवल योग व साधना के बूते ही खुद को जीवित रखा जा सकता है। इसका प्रमाण ब्रह्मानंद जी के अलावा उनका शिष्य भी साबित कर रहा है। करीब 12 दिनों से चूड़धार चोटी पर मौसम खराब है। बर्फ का गिरना सामान्य सी बात है। बताया जा रहा है कि पिछले दो दिन में चोटी पर लगभग दो फुट बर्फबारी हुई है। चोटी पर ढाबे नवंबर महीने में ही बंद हो गए थे। मई में चोटी पर श्रद्धालुओं की रौनक लौटेगी।
चोटी से फोन पर हुई बातचीत में स्वामी कमलानंद गिरी ने बताया कि पिछले दो सप्ताह से आश्रम से बाहर नहीं निकले हैं। आश्रम में बिजली आपूर्ति ठपा है। बर्फ को पिघलाकर पानी पिया जा रहा है। अगर फरवरी माह में भी चोटी पर बर्फबारी का सिलसिला जारी रहता है तो निश्चित तौर पर आंकड़ा 15 फुट को पार कर 20 फुट के पास पहुंच जाएगा। चोटी पर मानवीय हलचल न होने की वजह से भालुओं के लिए भी समय स्वर्ग की तरह बन जाता है।