एमबीएम न्यूज/नाहन
31 युवाओं की टोली ने जनपद में रिकॉर्ड बना लिया है। वीरवार दोपहर नौहराधार के चौकर क्षेत्र में टोली मध्य प्रदेश के उज्जैन से ज्योतिर्लिंग को लेकर पहुंच गई है। 14 जनवरी की शाम कंधों पर पालकी में ज्योतिर्लिंग को लेकर आने की हठ शुरू हुई थी। भोले शंकर के प्रति अटूट आस्था रखने वाले युवकों ने ज्योतिर्लिंग को ठीक उस जगह तक पहुंचा दिया है, जहां 4 मार्च को महाशिवरात्रि के अवसर पर स्थापित किया जाएगा। मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड राज्यों से गुजरते हुए 14वें दिन यात्रा देवभूमि पहुंच गई है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने 21 जनवरी को इस बात का खुलासा किया था कि चौकर क्षेत्र के भंगाड़ी गांव के 31 सदस्य अपना कामकाज छोड़ कर मंगलेश्वर ज्योतिर्लिंग लेने गए हैं। उल्लेखनीय है कि ज्योतिर्लिंग की पालकी को पूरी यात्रा के दौरान नीचे नहीं रखा गया। टीम 15 जनवरी को वाहनों से उज्जैन के लिए रवाना हुई थी। इसी जगह पर ओम कालेश्वर जी का विशाल मंदिर है। कावेरी व नर्मदा नदी का संगम होने की वजह से इस जगह की धार्मिक आस्था अधिक है।
कैसे होता था सफर…
हर किसी के जहन में यह सवाल उठ रहा है कि इतनी लंबी यात्रा को पैदल संभव कर दिखाया गया। वापस लौटे दल के एक सदस्य बंटी ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में यात्रा से जुड़ी कई बातों को साझा किया। उनका कहना था कि पालकी से पीछे एक वाहन तैनात था। इसमें सोने, खाने-पीने के अलावा नहाने इत्यादि की पूरी व्यवस्था की गई थी। चार सदस्यों की टीम पालकी को लेकर चलती थी। जब शिफ्टिंग करनी होती थी तो गाड़ी को बुला लिया जाता था। इसमें से अन्य सदस्य उतरकर पालकी को संभाल लेते थे। पूरी यात्रा के दौरान कहीं पर भी कोई समस्या नहीं आई। उत्तराखंड के बाद पांवटा घाटी से सतौन होते हुए पालकी आज दोपहर स्थान पर पहुंच गई है।
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तोड़ा रिकॉर्ड….
ऐसी उम्मीद की जा रही थी कि इतना लंबा सफर 25 दिन में पूरा होगा, लेकिन शिव के उपासक युवकों ने इसे महज 14 दिन में ही पूरा कर दिया। ज्योतिर्लिंग की स्थापना कैंथा गांव में एक चोटी पर की जा रही है।
इस कारण बढ़ी अहमियत…
चूड़धार चोटी पर विराजमान भगवान शिरगुल को भी शिव का अवतार माना जाता है। गांव भी चूड़धार चोटी की तराई में बसा हुआ है। दूसरी अहम बात यह है कि महाशिवरात्रि के पर्व पर ज्योतिर्लिंग की स्थापना की जाएगी। मध्य प्रदेश में 12 ज्योतिर्लिंगों में से दो ज्योतिर्लिंग मौजूद हैं।