नाहन (एमबीएम न्यूज): सीटू की जिला कार्यकारिणी ने विधायकों के वेतन भत्तों और सुविधाओं में बढ़ोतरी का पुरजोर विरोध किया है। संगठन ने प्रदेश सरकार से तुरंत इस निर्णय को वापस लेने की मांग की है। सीटू के जिला महासचिव राजेंद्र ठाकुर का कहना है कि प्रदेश में 10 लाख युवा बेरोजगार हैं। आम छात्र की फीस में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। प्रदेश करीब 35 हजार करोड़ रुपए के कर्ज तले दबा हुआ है। किसान और बागवान प्रदेश में बेदखल किए जा रहे हैं और उनके सामने रोजी रोटी का संकट है। प्रदेश का हर तबका महंगाई की मार झेल रहा है लेकिन प्रदेश सरकार को अपने वेतन और भत्तों की बढ़ोतरी की फिक्र है।
ठाकुर का कहना है कि वेतन भत्तों में बढ़ोतरी के लिए पक्ष और विपक्ष एकजुट हो जाता है। पूरे बजट सत्र के दौरान जिस विपक्ष ने बार-बार आम आदमी के नाम पर वॉकआउट किया, उसी विपक्ष ने अपने वेतन और भत्तों में बढ़ोतरी के लिए पूरी तरह से सत्ता पक्ष का साथ दिया। ये हमारे चुने हुए माननीयों का दोहरा चरित्र ही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हजारों दिहाड़ीदार और अंशकालीन दशकों से अस्थायी रोजगार पर काम कर रहे हैं। इसके अलावा हजारों होमगार्ड के जवान बहुत कम वेतन पर जीवनयापन कर रहे हैं। इसी तरह एसएमसी टीचर, पंचायत प्रधान, कंप्यूटर टीचर रोजी रोटी के लायक भी वेतन और भत्ते नहीं पा रहे हैं। आंगनबाड़ी वर्कज और हेल्पर्ज को नाम मात्र का वेतन दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने माननीयों के वेतन और भत्तों में वृद्धि कर जता दिया है कि उनको आम आदमी के मुद्दों से कोई लेना देना नहीं है और सदन में आम आदमी के मुद्दों पर नाटक रचाया जाता है। सीटू संगठन ने मांग की है कि तुरंत प्रभाव से इस बढ़ोतरी को वापस लिया जाए। यदि इन फैसले को वापस नहीं लिया जाता है तो उक्त श्रेणियों के कर्मचारियों का वेतन भी 100 फीसदी बढ़ाया जाए। साथ ही चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने इस मामले पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो आगामी समय में संगठन अन्य संगठनों के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेगी। इसके तहत धरना और प्रदर्शन करने से भी गुरेज नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही इस पूरे मामले पर हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा। राज्यपाल सहित मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन भी सौंपा जाएगा।