हमीरपुर (एमबीएम न्यूज़): पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में शिक्षा का स्तर बेहतर करने के लिए, जो कार्यवाही प्रदेश सरकार को करनी चाहिए थी वह नहीं हुई है। ऐसा लगता है कि क्षणिक वाहवाही लूटने के लिए नए शिक्षा संस्थान खोलने व कुछ को स्तरोन्नत करने का एक जबरदस्त दौर चल रहा है।
उन्होंने कहा कि स्वभाविक है कि शिक्षा को महत्व देने के लिए और शिक्षा का विस्तार करने के लिए नए संस्थानों की भी आवश्यकता होती है और स्तरोन्नत करने की भी जरूरत होती है। लेकिन बुनियादी ढांचे अर्थात भवन इत्यादि, अध्यापकों, प्राध्यापकों का पूरा प्रबन्ध किए बगैर और समय पर पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करवाये बगैर शिक्षा, शिक्षकों और विद्यार्थियों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है । धूमल ने कहा कि प्रदेश के विद्यालयों में पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करवाने का दायित्व हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड को दिया गया है परन्तु अभी तक विद्यार्थियों को पुस्तकें उपलब्ध नहीं हुई हैं । जबकि यह बताया जा रहा है कि विद्यार्थियों की पहली असैस्मैंट इसी सप्ताह होनी थी और दूसरी जून में, परन्तु बिना पुस्तकों के क्या पढ़ाई होगी और क्या असैस्मैंट होगी ?
उन्होंने कहा कि वास्तव में जिस शिक्षा बोर्ड को पुस्तकें उपलब्ध करवाने का जिम्मा दिया गया है उसे तो सरकार ने अपनी सुविधा के लिए बैंकों की भरती करने का जिम्मा दे दिया है ताकि सरकार को मनमर्जी करने की सुविधा रहे । धूमल ने कहा कि जिसका जो दायित्व है, उस दायित्व को निभाने की अपेक्षा उन्हें दूसरे कामों पर लगाकर हम दोनों का नुकसान करते हैं । ऐसा लगता है कि जो प्राथमिक दायित्व है उसकी अपेक्षा दूसरे दायित्वों को अधिक महत्व दिया जाता है ।