शिमला (एमबीएम न्यूज़) : मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा है कि धर्मशाला को प्रदेश की दूसरी राजधानी बनाने से शिमला का महत्व और गरिमा कम नहीं होगी। शिमला की अपनी महत्वता है। यह भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी रह चुकी है और आजादी के बाद पंजाब की भी राजधानी रही है तथा हमें गर्व होना चाहिए कि शिमला हिमाचल की राजधानी है और भविष्य में भी यह राजधानी रहेगी।
धर्मशाला को दूसरी राजधानी बनाने का यह मतलब नहीं है कि शिमला का महत्व कम कर दिया जाएगा। प्रदेश के दूसरे हिस्से को अधिमान देने के लिए धर्मशाला को दूसरी राजधानी बनाया गया है।
बजट पर चार दिन तक चली चर्चा का उत्तर देते हुए वीरभद्र सिंह ने शुक्रवार को सदन में कहा कि सचिवालय को धर्मशाला ले जाने का कोई विचार नहीं है। इसके अलावा शिमला से न तो कोई कार्यालय और न ही कोई कर्मचारी धर्मशाला शिफ्ट नहीं होगा। धर्मशाला में नए कार्यालय खोले जाएंगे और वहां पर स्टाफ भी नया तैनात किया जाएगा। वीरभद्र सिंह ने यह भी कहा कि धर्मशाला में कई महत्वपूर्ण कार्यालय पहले से ही मौजूद हैं।
इसमें बिजली, पीडब्यलूडी और आईपीएच के जोनल स्तर के चीफ इंजीनियर के अतिरिक्त हिमाचल प्रदेश सकूल शिक्षा बोर्ड का मुख्यालय शामिल हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2005 में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में ही धर्मशाला में विधानसभा का निर्माण हुआ और विंटर सैशन हर साल वहीं पर हो रहा है।
वीरभद्र ने कहा कि धर्मशाला के मुददे पर विपक्ष लोगों को गुमराह कर रहा है। धर्मशाला प्रदेश की विंटर कैपिटल रहेगी और जनहित में हमारी सरकार ने यह फसला लिया है। मुख्यमंत्री ने बजट चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्यों द्वारा सरकार पर लगाए गए आरोपों को सिलसिलेवार जवाब दिया। वीरभद्र सिंह ने कहा कि विपक्ष का यह कहना कि प्रदेश सरकार केंद्र की बैसाखियों के सहारे चल रहा है, तथ्यों से परे है। उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र से प्रदेश को संवैधानिक प्रावधानों के तहत शेयर मिल रहा है।
इस बीच मुख्यमंत्री के जवाब के बीच में ही अपनी सीट पर खड़े होकर विपक्ष के नेता प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि विपक्ष द्वारा उठाए गए बिंदुओं का सीएम सिलसिलेवार जवाब नहीं दे रहे हैं। यह कहकर धूमल सदन से बाहर चले गए और उनके साथ सभी विपक्षी सदस्य भी सदन से बाहर चले गए। बाद में स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने से विपक्ष के बाहर जाने को वाकआउट न माने जाने का आग्रह स्पीकर बृज बिहारी लाल बुटेल से किया।