शिमला (एमबीएम न्यूज): चुनावी वर्ष में आखिरकार वीरभद्र सरकार ने प्रदेश के युवाओं को बेरोजगारी भत्ते का तोहफा दे ही दिया। बेरोजगारी भत्ते को लेकर लंबे समय से कांग्रेस सरकार व संगठन में खींचतान चल रही थी। इसके अलावा विपक्षी भाजपा ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ था। शुक्रवार को बजट में वीरभद्र सिंह ने इस मांग को पूरा कर दिया।
वर्ष 2017-18 का बजट प्रस्तुत करते हुए वीरभद्र सिंह ने कहा कि उनकी सरकार जमा दो उतीर्ण तथा इसके उपर की योग्यता वाले बेरोजगारों को भत्ता प्रदान करेगी। उन्होंने एलान किया कि ऐसे युवाओं को एक हजार रूपये मासिक भत्ता दिया जाएगा। जबकि इसी योग्यता के विकलांग बेरोजगार युवाओं को 1500 रूपये मासिक भत्ता मिलेगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि बेरोजागारी भत्ते के लिए बजट में 150 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि भत्ते संबंधी गाइडलाइन विभाग अतिशीघ्र जारी करेगा।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए कौशल विकास भत्ता बीते वर्ष की तरह इस बार भी दिया जाएगा।
बेरोजगारी भत्ते की घोषणा के बाद मुख्यमंत्री ने सदन में विपक्षी भाजपा की ओर निहारते हुए शायरानी अंदाज में शेयर पढ़ा- “ऐ परिंदे यूं जमीन पर बैठकर आसमां को देखता है, पंखों को खोल, क्योंकि जमाना उड़ान देखता है”।
गौरतलब है कि प्रदेश में इसी साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में बेरोजगारी भत्ते के दांव से सरकार ने युवाओं को रिझाने की कोशिश की है। एक अनुमान के अनुसार प्रदेश में 9 लाख बेरोजगार रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत हैं। कांग्रेस ने वर्ष 2012 में अपने चुनावी घोषणा पत्र में बेरोजगार युवाओं को 1000 रूपये मासिक भत्ता देने की घोषणा की थी। लेकिन सत्ता में आने के बाद सरकार इस वायदे को भूल गई।
बीते कुछ समय सेएक वरिष्ठ मंत्री के अलावा कांग्रेस संगठन सरकार पर बेरोजगारी भत्ते देने का दवाब डाल रही थी। दूसरी तरफ भाजपा की मांग थी कि सरकार ने चार साल तक युवाओं को बेरोजगारी भत्ता नहीं दिया है, ऐसे में चुनावी साल में यदि सरकार भत्ते की घोषणा करती है, तो उसे प्रत्येक बेरोजगार युवा के खाते में 60 हजार रूपये डालने होंगे।