नाहन (एमबीएम न्यूज): शिलाई उपमंडल की कांडो च्योग पंचायत के साधारण परिवार में जन्में बेटे बहादुर सिंह चौहान ने समूचे सिरमौर को गौरवान्वित किया है। चार साल की उम्र में मां को खो दिया था। पिता का भी हाल ही में निधन हुआ। यानि माता-पिता अपने बेटे की सर्वोच्च सफलता को देखने के लिए आज दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी सफलता की चर्चा आज समूचे ट्रांसगिरि इलाके मेंं हो रही है।
1984 में जेई के पद से अपना कैरियर शुरू करने के बाद आज लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर इन चीफ के पद पर पहुंच गए हैं। बुधवार को ही चौहान को इस पद पर प्रमोशन मिली है। सनद रहे कि प्रदेश में इंजीनियर इन चीफ के केवल दो ही पद होते हैं। इनमें से एक पद पर सिरमौरी को तैनाती मिली है। बिन मां के बेटे ने गांव में ही शुरूआती पढ़ाई की। इसके बाद नाहन कॉलेज में दो साल की पढ़ाई पूरी करने के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी में बी टेक में दाखिला हासिल कर लिया।
80 के दशक में पंजाब विश्वविद्यालय परिसर में बी टेक के ट्रेड में दाखिला लेना आसान बात नहीं थी। हमेशा से ही मैरिट होल्डर रहे। पढ़ाई में तेज थे, लिहाजा छह महीने के भीतर ही जेई से एसडीओ बन गए। फिर चरणबद्ध तरीके से प्रमोशन हासिल करते रहे। प्रमोशन हासिल करने से पहले नेशनल हाईवे विंग के चीफ इंजीनियर पद पर तैनात रहे।
सनद रहे कि प्रदेश में एनएच के चीफ इंजीनियर का एक ही पद है। इस पद पर अपनी जिम्मेदारी का बखूबी वहन किया। हाल ही में पूरे प्रदेश को 61 नेशनल हाईवे मिले। इनकी डीपीआर व अन्य औपचारिकताएं पूरी करने में इंजीनियर बहादुर सिंह चौहान लगे हुए थे।
क्या बोले…
एमबीएम न्यूज नेटवर्क से विशेष बातचीत के दौरान बीएस चौहान ने कहा कि अपने गांव व जिला से कभी नाता नहीं तोड़ा। कड़छम से अपना कैरियर शुरू किया। मौका जब भी मिला, तब अपने गांव का रुख कर लेता था। रिटायरमेंट के बाद अपने इलाके में रहकर कुछ करना चाहता हूं।