मंडी (वी.कुमार) : छोटी काशी में भगवान शिव के भूतनाथ रूप को शहर का अधिष्ठाता माना जाता है। यहां का अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव बिना बाबा भूतनाथ की पूजा अर्चना के शुरू नहीं होता।
देवभूमि हिमाचल प्रदेश के केंद्र में बसा है शहर और इस शहर को छोटी काशी के नाम से जाना जाता है। इस शहर के बीचों बीच स्थित है बाबा भूतनाथ का मंदिर। बाबा भूतनाथ को शहर के अधिष्ठाता के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर की स्थापना के साथ ही आधुनिक शहर की स्थापना भी हुई है। भूतनाथ मंदिर की स्थापना राजा अजबर सेन के शासनकाल में सन 1527 के दौरान हुई है। पाषाण शिखर शैली का यह मंदिर अद्भुत कारीगरी का नमूना है। पत्थरों पर की गई नक्काशी उन अनाम कलाकारों के कलाकौशल को बयां करती है जिन्होंने उस दौर में इस भव्य मंदिर के निर्माण में अपना योगदान दिया।
दंत कथा के अनुसार भूतनाथ मंदिर जहां बना है वहां पर चरागाह थी और चरवाहे वहां पर अपने पशु चराया करते थे। एक किसान को लगा कि उसकी गाय दूध नहीं दे रही है। उसने गाय की निगरानी करनी शुरू कर दी। एक दिन किसान ने देखा की गाय का दूध धरती पर स्वयं ही गिर रहा है। किसान यह देखकर आश्चर्यचकित रह गया। इस बात का पता राजा अजबरसेन को भी चल गया। राजा को एक दिन स्वप्न हुआ कि उस जगह पर शिवलिंग है। उस जगह की खुदाई करवाने पर स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हुआ। अजबर सेन ने उसी स्थान पर मंदिर की स्थापना कर दी। जहां पर उन्होंने बाद में भव्य मंदिर का निर्माण किया। वहीं पर वे बटोहली पुरानी मंडी से अपनी राजधानी भी ब्यास नदी के इस पार ले आए। यह क्षेत्र कैहनवाल और गंर्धव के राणाओं के अधिकार क्षेत्र में था। नई राजधानी बसाने के लिए अजबर सेन ने कैहनवाल और गंर्धव के राणाओं को पराजित कर इस क्षेत्र पर अधिकार किया और आधुनिक नगर की स्थापना की।
हर वर्ष शिवरात्रि के दौरान मनाए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव की शुरूआत भी बाबा भूतनाथ मंदिर में पूजा अर्चना के साथ ही होती है। शिवरात्रि से एक महीना पहले यानी तारा रात्रि से यहां पर शिवरात्रि महोत्सव की शुरूआत मानी जाती है। तारा रात्रि को इस मंदिर के शिवलिंग पर मक्खन का लेप चढ़ा दिया जाता है और रोजाना लेप चढ़ाने का क्रम शिवरात्रि तक जारी रहता है। इस दौरान लेप पर भगवान शिव के विभिन्न रूपों की आकृतियां बनाकर भक्तों को दर्शन करवाए जाते हैं। इसके साथ ही जिला के अन्य देवी देवताओं की आकृतियां भी मक्खन के लेप पर उकेरी जाती हैं।
वहीं शिवरात्रि वाले दिन मक्खन के लेप को उतार कर इसे प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर में जो भस्म आरती होती है वैसी ही भस्म आरती इस मंदिर में शिवरात्रि महोत्सव के दौरान करवाने की प्रथा भी शुरू हो चुकी है। इस आरती में भी स्थानीय लोग बढ़चढ़ कर भाग लेते हैं।
मंदिर के प्रति स्थानीय लोगों की अटूट आस्था है। मान्यता है कि इस मंदिर में सच्चे मन से जो भी मन्नत मांगी जाती है बाबा भूतनाथ उसे जरूर पूरा करते हैं। यही कारण है कि मंदिर में वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।
बाबा भूतनाथ का मंदिर न सिर्फ जिला में बल्कि पूरे प्रदेश और देश में विख्यात है। इस मंदिर के इतिहास को जानने के लिए लोग दूर-दूर से यहां आते हैं। क्योंकि शहर में शिवरात्रि का महोत्सव अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है इसलिए यहां के बाबा भूतनाथ मंदिर की महिमा भी अपने आप ही बढ़ जाती है।