हमीरपुर (एमबीएम न्यूज़) : भोरंज विस सीट पर भाजपा और कांग्रेस के संभावितों ने चुनावी आहट के बीच कदमताल शुरू कर दी है। हालांकि अभी उप-चुनाव की औपचारिक रूप में कोई घोषणा नहीं हुई है, मगर इतना तय है कि पूर्व मंत्री और विधायक दिवंगत आईडी धीमान की आकस्मिक मृत्यु के कारण खाली हुई इस सीट पर उपचुनाव होना ही है और इसके लिए सभी संभावित प्रत्याशियों ने अपनी गतिविधियों को भीतर-खाते बढ़ाना शुरू कर दिया है।
भाजपा का गढ़ कही जाने वाली इस सीट पर उप चुनाव दोनों दलों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल होगा। वजह यह है कि पूर्व सीएम प्रो. प्रेमकुमार धूमल इसी जिले से ताल्लुक रखते हैं और कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण यह है कि वह प्रदेश में सत्तासीन है और उसके कार्यकाल की भी परख होनी है। दिवंगत आईडी धीमान अपने असर-रसूख के बूते इस सीट पर लगातार 6 बार विरोधियों को हमेशा चित करते रहे हैं।
कई बार यहां बेहद कम मार्जन से वे कांग्रेस के संघर्ष पर भी भारी पड़े हैं, लेकिन इस बार चूंकि परिस्थितियां अलग हैंए राजनीतिक तौर पर माहौल भी पहले जैसा होए इस पर भी अब चर्चा तो हो ही रही है। भाजपा में टिकट किसे मिलेगा। इस पर भी अंदरखाते घमासान शुरू हो चुका है। कांग्रेस में लगभग पिछले सभी चुनावों में हर बार नए उम्मीदवार को मैदान में उतारती रही है।
इस बार उम्मीदवार कौन होगा? भाजपा को इस बार सत्ता की चुनौती होगी और कांग्रेसियों को पिछले लगातार चुनावों में रहे विघटन को इस बार सत्ता के बूते इकट्ठा करने की चुनौती दोनों तरफ रहेगी। चूंकि भाजपा के लिए यह सीट पूर्व सीएम पीके धूमल की मौजूदगी का भी यहां पर विरोधियों को अहसास करवाती रही है। कांग्रेस में भी टिकट के चाह्वान और पिछले चुनावों में प्रत्याशी रह चुके कई को एकजुटता के सूत्र में बांधना इस बार सत्ता और संगठन दोनों के लिए इस लिए जरूरी होगा, क्योंकि आगे आम चुनावों पर भी उपचुनाव का प्रभाव तो दिखना ही है।
उम्मीदवार का चयन करना आसान नहीं…….
भाजपा की राजनीति पिछले 6 चुनावों से एक ही परिवार के इर्द.गिर्द घूमती रही है। भोरंज क्षेत्र में प्रेम कुमार धूमल की समीरपुर गृह पंचायत भी पड़ती है। इस पंचायत में कांग्रेस कई बार पंचायती राज चुनावों में खास कर जिला परिषद में भाजपा के लिए चुनौती साबित हुई है। अब की बार भाजपा के मौजूदा नेतृत्व के लिए उम्मीदवारी का चयन इतना आसान नहीं होगाए क्योंकि दिवंगत धीमान के बेटे अनिल धीमान ने पिता की मृत्यु से कई माह पहले ऐच्छिक सेवानिवृति ले ली थी।
अब भोरंज में पार्टी उम्मीदवार किसे बनाएगीए इस पर नेताओं के लिए असमंजस हैए क्योंकि भाजपा के भीतर भी कई ऐसे नए चेहरे अब उभर कर कदमताल कर रहे हैं। जिनको नजरअंदाज करना पार्टी के भीतर असमंजस वाली स्थित पैदा हो सकती है। जबकि कांग्रेस में इन दिनों सरकारी कार्यक्रमों के जरिए कुछ लोग क्षेत्र में कदमताल शुरू कर चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक सत्ता के गलियारों से इस बावत जिला प्रशासन को भी हिदायतें हो चुकी हैं।
अब देखना यह है कि सीएम वीरभद्र सिंह और सुक्खू इस महत्वपूर्ण उपचुनाव में आम चुनावों से पहले सत्ता की सवारी पर सवार होने के लिए गुटबाजी को खत्म कर पाएंगे या नहीं