मंडी (वी कुमार): कांगड़ा की सीमा में बरोट से चंद किलोमीटर दूर ऐसा सडक़ हादसा हुआ, जिसको देखकर हर किसी की रूह कांप गई। हादसे की तस्वीरें इस भयावक घटना की तस्दीक कर रही हैं। एक-दो शव पेड़ों पर लटके देखकर लोग सहम उठे। जबकि शेष शव ढांक के बीच में फंसे हुए थे। गाड़ी लगभग 500 फीट गहरी खाई में गिरी हुई थी। शवों को घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया। पांचों ही युवकों ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था।
कारण नहीं पता चले हैं, लेकिन तेज रफ्तारी वजह हो सकती है। पांच मृतकों में से चार की शिनाख्त कर ली गई है। जेब से मिले पहचानपत्रों के आधार पर मृतकों की शिनाख्त हुई है। इसमें दो मृतक मंडी के रहने वाले थे, जबकि एक का संबंध हमीरपुर से व चौथे का ताल्लुक उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से मिला है। मृतकों की शिनाख्त सुभाष पुत्र अमर सिंह गांव कटोह (मंडी), अजय कश्यप पुत्र देशराज निवासी पैडी (मंडी), अमित शर्मा पुत्र भूमि दत्त गांव कलखोर (हमीरपुर)व रोहित सिब्बल पुत्र सुधीर सिब्बल निवासी गाजियाबाद के तौर पर की गई है।
पांचवे मृतक की जेब से कोई भी दस्तावेज नहीं मिला है, इस कारण पहचान नहीं हुई है। पुलिस के मुताबिक दस्तावेजों के आधार पर परिजनों को सूचना दे दी गई है। बताया जा रहा है कि हादसे में मौत का शिकार हुए तमाम युवक मेडिकल रि पे्रजेंटेटिव के तौर पर कार्य कर रहे थे, जो बरोट की तरफ घूमने गए हुए थे। फॉरचूनर (एचआर29एके-8001) जैसे लग्जरी वाहन के हादसे में उड़े परखचों से भी इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि हादसा कितना भयानक था।
लग्जरी कार के सेफ्टी बैलून फेल
जानकार बताते हैं कि लग्जरी कार फॉरचूनर में सेफ्टी बैलून की संख्या 2 से 6 तक हो सकती है। दुर्घटना के दौरान जब गाड़ी टकराती है तो बैलून खुलकर सुरक्षा कवच बन जाते हैं। इस हादसे में बैलून खुले या नहीं, इस बात पर फिलहाल कुछ कहना मुश्किल है, लेकिन इतना जरूर है कि महंगी कार में भी जान की सुरक्षा की गारंटी नहीं है। पहले की कारों में सीट बैल्ट पहनने होने पर ही सेफ्टी बैलून खुलते थे, लेकिन अब नई कारों में अगर सीट बैल्ट न भी पहनी हो तो भी बैलून खुल सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक लग्जरी कारों में आमने-सामने की टक्कर में ही बैलून सुरक्षा कवच प्रदान करने में कामयाब होते हैं। पहाड़ी राज्यों में इसकी कोई गारंटी नहीं है।