नाहन (एमबीएम न्यूज): शिलाई उपमंडल की ग्वाली पंचायत के मटियाणा गांव में बेटी 3 अक्तूबर 1987 को गंगाराम व सन्नी देवी के घर जन्म लेती है। गांव के नजदीक केवल एक मिडल स्कूल, जहां दाखिला लेने के बाद चौथी कक्षा में अंग्रेजी का पहला अक्षर सीखती है।
कमाल देखिए, 29 साल की बेटी विद्या वर्मा अब कॉलेज के छात्रों को अंग्रेजी पढ़ाएगी। यह सवाल हर किसी के मन में उठ सकता है कि दुर्गम गांव में जन्मी होनहार बेटी ने ऐसा कैसे कर दिखाया। इस सवाल का जवाब एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने तलाश किया है। सीधे विद्या से सवाल पूछा गया, बोली-गांव के मिडल स्कूल में उस वक्त धर्मचंद शर्मा जी अंग्रेजी के टीचर थे। उनका पढ़ाने का तरीका इतना रोचक था कि अंग्रेजी की तरफ रूचि बढ़ गई।
पिता गंगाराम सीधे सादे किसान। मां सन्नी देवी गृहणी। जमीन के छोटे से भू-खंड से परिवार का लालन-पोषण ही मुश्किल था, लिहाजा पढ़ाई के दौरान विद्या को आर्थिक मुश्किल का सामना भी करना पड़ा। 2004 में भाई विजेंद्र सिंह सेना में बतौर सिपाही भर्ती हुए, जो आज लॉंस नायक के पद पर तैनात हैं। भाई विजेंद्र को विद्या अपने पिता से भी बढक़र मानती है, क्योंकि बहन की पढ़ाई में हर मुश्किल को दूर करने का बीड़ा उठाए रखा।
29 साल की विद्या प्रेरणास्त्रोत बनी है। यह साबित कर दिखाया है कि पृष्ठभूमि चाहे कुछ भी हो, मुश्किलें हों लेकिन धाराओं के विपरीत भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। सनद रहे, हाल ही में हिमाचल प्रदेश लोकसेवा आयोग ने कॉलेज कैडर के सहायक प्राध्यापकों का परिणाम जारी किया था। इसमें विद्या को सफलता मिली थी।
इस तरह से भी था संघर्ष….
गांव में पढ़ाई पूरी हो गई तो आगे की उच्चशिक्षा हासिल करने के लिए शिलाई ही विकल्प था। रोजाना दो किलोमीटर की सीधी चढ़ाई तय कर पहले वरिष्ठ माध्यमिक शिक्षा पूरी की। इसके बाद कॉलेज की पढ़ाई भी शिलाई में ही पूरी की। 2009 में ग्रैजुएशन पूरी कर ली। इसके बाद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से 2011 में एमए की। 2012 में एम फिल में दाखिला लिया। डेढ़ साल की तैयारी के बाद नेट की परीक्षा पास की। उच्चशिक्षा प्राप्त करने के बाद परिवार को कुछ आर्थिक सहायता देने के इरादे से विद्या ने संगड़ाह डिग्री कॉलेज में बतौर अंग्रेजी प्रवक्ता पीटीए पर कार्य करना शुरू कर दिया। अब सफलता सहायक प्राध्यापक के तौर पर नियमित नियुक्ति से मिली है।