शिमला (एमबीएम न्यूज) : प्रदेश में पहली बार शिवरात्रि का पर्व बगैर घोटे के होगा। सवाल इस बात पर, कहां से आएगी भांग। घोटा भी नहीं बनेगा तो पकौड़े भी नहीं जा सकेंगे तले। बेशक ही भांग के पौधे अब भी मौजूद हों, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में इसका सफाया हो चुका है।
इस त्यौहार पर अगर भोले के भक्त भंग के सरूर में नजर आए तो सरकार के उस अभियान की भी पोल खुलती नजर आएगी, जिसमें कहा गया था कि समूचे प्रदेश से भांग का उन्मूलन कर दिया गया है। दीगर है कि सरकार ने 22 अगस्त से 5 सितंबर तक समूचे प्रदेश में भाग उखाडऩे का अभियान चलाया था। इसमें टॉप से बॉटम तक की अफसरशाही जुट गई थी। सिरमौर के राजगढ़ उपमंडल में 15 फीट भांग के दरख्त तक मिल गए थे।
हालांकि चरस के जारी कारोबार से कुछ हद तक माना जा रहा है कि भांग के पौधे पूरी तरह नष्ट नहीं हुए थे। लेकिन शिवरात्रि के पर्व पर इनकी मांग कई गुणा अधिक हो जाती है। राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक विशेष अभियान के तहत कुल्लू की 204 पंचायतों में 1.25 लाख पौधों को नष्ट किया गया। यह जिला भांग उत्पादन के लिए सबसे अधिक संवेदनशील रहता है। सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक 1 करोड़ 88 लाख 50 हजार पौधों का तबाह किया गया।
अभियान में पाया गया कि 19157 बीघा में भाग उगी थी। अभियान के तहत पौने दो करोड़ के आसपास अफीम के पौधे भी मिले थे। कुल मिलाकर अब रोचकता यह है कि शिवरात्रि के पर्व पर भोले के भक्त क्या करेंगे। एमबीएम न्यूज नेटवर्क की पड़ताल में यह पता चला है कि तराई वाले क्षेत्रों में जंगलों के बीच भांग के पौधे मौजूद हैं, लिहाजा प्रसाद तो बनेगा ही।