शिमला (शैलेंद्र कालरा): सोचिए, नन्हीं अनामिका ने जब होश संभाला तो मां को बैड पर हर पल कराहते पाया। महज एक साल की थी, जब चिकित्सकों की लापरवाही के कारण मां की हालत बिगडऩा शुरू हुई। अब नन्हीं अनामिका 6 साल की हो चुकी है। मां की हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है।
पिता संजय सिंह, अनामिका की मां डिंपल का जीवन बचाने के लिए सब कुछ दांव पर लगा चुका है। संपत्ति बिक चुकी है। पिता की जेब खाली हो चुकी है। हालांकि नन्हीं अनामिका को पूरी समझ आने में समय लगेगा, लेकिन कोई भी इस बात की कल्पना आसानी से कर सकता है कि बच्ची के दिलोदिमाग में क्या चल रहा होगा, जिसे शायद वो बयां नहीं कर पा रही होगी।
नन्हीं अनामिका के माता-पिता के साथ क्या गुजरा…...https://goo.gl/11hEZI
अपने पिता संजय सिंह के साथ मासूम अनामिका को मददगारों की तलाश है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने अपने पाठकों से 20 जनवरी 2017 को ही परिवार का दर्द साझा किया था। ऊना जिला के जखेड़ा गांव की रहने वाली अनामिका की मां को डायलिसिज के लिए कुछ दिन बाद ही पीजीआई अपने पिता के साथ जाना पड़ता है। यहां भी कल्पना करना बेहद मुश्किल है कि नन्हीं बच्ची का इन परिस्थितियों में भविष्य कैसे बनेगा।
गौरतलब है कि अनामिका की मां के दोनों गुर्दे फेल हो चुके हैं। साथ ही चंद रोज पहले दिल की बीमारी भी रिपोर्ट हुई है। अनामिका की मां को नया जीवन मिल जाए, आप मददगार बनना चाहते हंै तो पिता संजय सिंह को मोबाइल नंबर 96250-09581 पर संपर्क किया जा सकता है।
इच्छा मृत्यु…..
10 जून 2013 को पिता संजय सिंह ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में इच्छा मृत्यु की अनुमति देने का आग्रह भी किया था। स्वाभाविक सी बात है, ऐसी अनुमति नहीं मिलनी थी। लेकिन मौजूदा व्यवस्था पर बड़ी चोट लगी थी। परिवार को न तो उन चिकित्सकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई मिली, जिनके कारण डिंपल आज जिंदगी ओर मौत के बीच संघर्ष कर रही है। न ही कोई ऐसा मसीहा सामने आया, जो इलाज का खर्च उठाने में मददगार बने।