नाहन (रीतिका/ श्वेता/ दीक्षा): 1621 में बने नाहन शहर में हैरीटेज भवनों की लंबी फेहरिस्त है। यहां बात की जा रही है, गजब आर्कीटैक्चर से निर्मित विक्टोरिया डायमंड जुबली अस्पताल ‘‘नर्सिंग होस्टल’’ की। एमबीएम न्यूज नेटवर्क शहर के हैरीटेज भवनों का इतिहास खंगालने में लगा हुआ है। इसी कड़ी में जब इस भवन को भी तलाशा गया तो पता चला कि हाल ही में लीपापोती कर इसे चमका दिया गया है।
सवाल वहीं का वहीं मिला, जिसमें एक अरसे से कहा जाता है कि इस तरह के भवनों को हैरीटेज पर्यटन से जोड़ा जाना चाहिए। इस भवन पर अंकित जानकारी के मुताबिक अंग्रेजी हुकूमत के दौरान इस भवन में अस्पताल का वजूद 22 जून 1887 को शुरू हुआ था। शहर के एकांत हिस्से में स्थित इस भवन की खूबसूरती को चीड़ के पेड़ों की हवाएं पर्यटकों को मदमस्त कर सकती हैं।
करीब तीन साल पहले शहर के हैरीटेज भवनों का इतिहास कलमबद्ध करने की कोशिश शुरू हुई थी, लेकिन फाइलों में ही दबा दी गई। नर्सिंग होस्टल की छात्राओं की सुरक्षा का इंतजाम होमगार्ड जवान करता है। हाल ही में इस छात्रावास में नया सामान भी पहुंच गया है। सफेदी व फर्नीचर का कायापलट करने की वजह, डॉ. वाईएस परमार मेडीकल कॉलेज का वजूद में आना भी हो सकता है।
ऐतिहासिक इमारतों की सूची में दर्ज इस भवन का इस्तेमाल अगर हैरीटेज के लिए हो तो बेहतर है तो शहर के पर्यटन को एक नई दिशा तो मिलेगी ही, साथ ही शहर की आर्थिकी भी मजबूत हो सकती है। शहर को हैरीटेज बनाने के बारे में हिमफैड अध्यक्ष व इतिहासकार कंवर अजय बहादुर सिंह का कहना है कि यह मांग बिलकुल जायज है। उन्होंने कहा कि प्रयास किए जा रहे हैं।