शिमला (शैलेंद्र कालरा): यह किस्सा अप्रैल 2011 से शुरू होता है। अब दर्दनाक मोड़ पर पहुंच चुका है। उस वक्त 26 साल की डिंपल गर्भवती थी। बीबीएमबी की दो महिला चिकित्सकों की लापरवाही के कारण डिंपल ने अपने दोनों गुर्दे खो दिए। लाचार पति ने पांच साल तक लगातार हरेक मंच पर न्याय मांगा।
चाहे प्रधानमंत्री या फिर राष्ट्रपति। यहां तक की 10 जून 2013 को राष्ट्रपति को पत्र लिख परिवार को इच्छा मौत देने की अनुमति मांगी। मीडिया ने दो-तीन साल तक संजय सिंह की बात को उठाने में कोई कमी नहीं रखी, लेकिन अब मीडिया में इस दंपत्ति के दर्द को भूल चुका है। अब लाचार पति संजय सिंह पुत्र कश्मीरी लाल निवासी गांव जखेड़ा तहसील ऊना का विश्वास सरकारी तंत्र से उठ चुका है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क को संजय दंपत्ति की इस दर्दनाक कहानी की जानकारी मिली तो फौरन संपर्क साध कर दस्तावेज व रिकॉर्ड मांगा गया। फिर मीडिया से संजय सिंह को मामूली सी उम्मीद की किरण नजर आ गई। एक तरफ तो जहां लापरवाह चिकित्सकों के खिलाफ कोई कार्रवाई आज तक नहीं हुई, वहीं संजय सिंह दाने-दाने को मोहताज हो गया है, क्योंकि कंधों पर बीमार पत्नी के इलाज की जिम्मेदारी है। वहीं नन्हीं बेटी की परवरिश का भी जिम्मा उठाना है। लाखों रुपए का कर्ज भी संजय के सिर चढ़ चुका है। यहां तक की मकान भी गिरवी पड़ा हुआ है।
व्यवस्था व सरकारी तंत्र की मार झेल रही डिंपल की हालत के वीडियो पर पाठकों को आपत्ति हो सकती है, लेकिन व्यवस्था का असल चेहरा आपके सामने लाना जरूरी है। इसी के मद्देनजर इस वीडियो को भी खबर के साथ अपलोड किया गया है।
संजय सिंह बताते हैं कि उसकी पत्नी मार्च 2010 में गर्भवती हुई। क्योंकि पिता बीबीएमबी से सेवानिवृत हुए थे, लिहाजा यहीं उपचार करने का फैसला लिया। पहली डिलीवरी 17 दिसंबर 2010 को बीबीएमबी में ही हुई थी। अप्रैल 2011 में माहवारी अचानक रुकी तो इलाज के लिए 23 अप्रैल को फिर नंगल गए। डॉक्टरों ने बताया कि डिंपल फिर से गर्भवती है, क्योंकि बेटी चार महीने की थी। लिहाजा दूसरी संतान नहीं चाहते थे। डॉक्टरों के मुताबिक एक से डेढ़ महीने का गर्भ था। महिला चिकित्सक ने गर्भपात करवा दिया। इसके बाद माहवारी में रक्तस्त्राव अत्यधिक हो गया तो पुन: अस्पताल गए। दवाईयां लिख दी गई।
9 मई 2011 को डिंपल की हालत ज्यादा खराब हुई। ओपीडी में मौजूद डॉक्टर ने इंजेक्शन लगाकर घर भेज दिया। फिर रात को पत्नी की हालत अधिक खराब हो गई। आधी रात को अस्पताल के एमरजेंसी वार्ड में मौजूद डॉक्टर ने दाखिल कर लिया। 10 मई 2011 को रक्त चढ़ाने के बाद डिंपल की तबीयत ज्यादा बिगडऩे लगी। फिर मामला चंडीगढ़ रैफर कर दिया गया। संजय के उस वक्त होश उड़ गए, जब पीजीआई के चिकित्सकों ने उसे बताया कि डिंपल के दोनों गुर्दे खराब हो चुके हैं। तब से आज तक डिंपल को डायलिसिज पर रखा जा रहा है।
अब संजय सिंह हरेक व्यवस्था खासकर सरकारी से इस कद्र निराश हो चुका है कि अब अपनी आपबीती जल्दी से बताने को भी तैयार नहीं होता है। अब कम से कम डिंपल के उपचार के लिए ही संजय सिंह को आर्थिक मदद मिल जाए तो इससे बड़ा सुकून उसे नहीं मिल सकता।
संजय सिंह को मोबाइल नंबर-96250-09581 पर संपर्क किया जा सकता है। आर्थिक मदद करने के लिए जल्द ही एमबीएम न्यूज नेटवर्क भी कदम उठाने जा रहा है।