नाहन (दीक्षा/ श्वेता/ रीतिका): गुरबत की वजह से आठवीं कक्षा में पढ़ाई छोडऩी पड़ी। परिवार का लालन-पोषण करने की जिम्मेदारी आ गई थी। जीवन के संघर्ष में उधेड़बुन करती हरिपुरधार के भवाई की सुरेखा ने शहर का रुख कर लिया। फोटोग्राफी के प्रोफैशन में इक्का-दुक्का लड़कियां ही नजर आती हैं, लेकिन सुरेखा ने एक बेहतरीन प्रोफैशनल बनने की ठान ली।
नौ साल पहले, जब यहां पहुंची तो फोटोग्राफी की तरफ रूझान हुआ। 33 साल की हो चुकी सुरेखा के सपनों को चीना फोटो स्टुडियो के संजीव कश्यप ने उड़ान दी। अब सुरेखा शहर में एक नामी फोटोग्राफर के तौर पर जानी जाती है। सुरेखा उन बेटियों के लिए प्रेरणा बन गई है, जो एक गरीब परिवार में जन्म लेती हैं। जिनके सामने जीवन में कुछ कर पाने की बड़ी चुनौती होती है।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने सुरेखा को तलाश किया। लंबी बातचीत की। सुरेखा का कहना है कि आठवीं कक्षा में पढ़ाई छूट गई थी। उन्होंने बताया कि फोटोग्राफी में रूझान बढ़ा तो देहरादून के एक इंस्टीच्यूट में प्रोफैशनल फोटोग्राफी का कोर्स किया। आठ साल बाद अपनी पढ़ाई को दोबारा शुरू करना भी काफी मुश्किल रहा। कमाल देखिए, घर से नाहन पहुंची सुरेखा ने अपनी पढ़ाई का सिलसिला भी शुरू कर दिया। अब एमए भी कर रही है।
किसान भवन की पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाली सुरेखा के हौंसले बुलंद हैं। पिता का पिछले साल निधन हुआ, लेकिन शायद मरने से पहले पिता को इस बात का सुकून रहा होगा कि जीवन की चुनौतियों का सामना करते हुए बेटी ने एक मुकाम पा लिया है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क इस बेटी के हौंसले को सेल्यूट करता है।