रोहडू, (शैलेंद्र कालरा/प्रदीप राही): चिडगांव तहसील के तांगणू गांव में कुदरत का कहर जारी है। पहली रात आशियाने छीन लिए। दूसरी रात कोल्ड अटैक कर दिया। बीती रात से ही इस गांव में हिमपात शुरू हो गया। सोमवार सुबह पौ फटते ही एक फुट के आसपास बर्फ पड़ चुकी थी। ठंड के बावजूद तांगणू गांव सोमवार को भी सुलग रहा था। चिडगांव से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर यह गांव तकरीबन साढ़े 7 हजार फीट की ऊंचाई पर है।
बर्फबारी के बाद तांगणू गांव, इनसैट में गांव में बचा एकमात्र मंदिर।मतलब साफ है कि तापमान माइनस में ही होगा। शायद ही कोई इस बात की कल्पना कर पाए कि माइनस तापमान में जब अपना घर न हो तो जीवनयापन कैसे संभव हो रहा होगा। इस भयंकर आपदा में लोगों के पास केवल चंद कपड़े ही बचे हैं। खासकर वही कपड़े, जो रात को पहन कर सोए थे। 14 जनवरी की रात को तकरीबन 250 लोग खाने-खाने को मोहताज हो गए थे तो अब हाड़ कंपा देने वाली ठंड दूसरी चुनौती बन गई।
प्रभावितों की हर कोई मदद करना चाहता है, लेकिन ताजा बर्फबारी के बाद उन प्रभावितों तक पहुंचना भी मुश्किल हो रहा है। सडक़ों पर यातायात ठप हो चुका है। रविवार सुबह ही सबकुछ गंवा चुके लोगों को यही चिंता थी कि अगर बर्फ पड़ी तो क्या होगा। बर्फबारी में बिना छत के तिरपाल के नीचे रहना कैसे संभव हो पाएगा, इस बारे में सोचा जा रहा था। लेकिन कुदरत ने 24 घंटे के भीतर ही इन लोगों को कोल्ड अटैक भी दे दिया।
उजड़े आशियानों की राख पर अपने बछड़े को स्तनपान कराती गऊ माता।हालांकि प्रशासनिक स्तर पर पूरी मदद प्रभावितो को दी जा रही है। सरकारी भवनो में रहने व खाने का इंतजाम किया गया है। साझा खाना बनाया जा रहा है। लेकिन कतई भी माइनस डिग्री तापमान में रह पाना, जिदंगी की जंग जीतने के बराबर ही है।
उधर डीसी रोहण ठाकुर ने बताया कि प्रभावितों को आसपास के घरों में रखा गया है। स्कूल भवन में भी स्थान उपलब्ध करवाया गया है। डीसी के मुताबिक लोगों को हीटिंग व्यवस्था भी दी गई है। डीसी ने कहा कि तत्काल ही इतनी संख्या में घरों का निर्माण संभव नहीं है। अलबत्ता अलग-अलग योजनाओं में लोगों को कवर करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए गए हैं।
बर्बादी के मंजर देख-देख कर बिलखती ग्रामीण महिलाएं।कुत्ते ने बचाई जिंदगियां..
यह स्पष्ट हो चुका है कि आग गांव के लंबरदार के घर से शुरू हुई थी। यह बात सामने आ रही है कि जब पूरा गांव नींद के आगोश में था तो अचानक ही बेजुबान जानवर काफी जोर से भौंकने लगा। अटपटे तरीके से कुत्ते की आवाज से गांववालों को यह साफ महसूस होने लगा कि कोई आपत्ति आ रही है। चंद मिनटों में ही कुत्ते की आवाज से लोग जाग गए। पूरे गांव के लोगों को पलक झपकते ही खुली जगह पर पहुंचाया गया।
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