कालाअंब (एमबीएम न्यूज): निजी क्षेत्र में दक्षता विश्वविद्यालय वजूद में आ सकता है। हिमालयन ग्रुप ऑफ प्रोफैशनल इंस्टीटयूशन परिसर में इस विश्वविद्यालय की नींव डलने की संभावना पैदा हुई है। बेरोजगारी के मुद्दे पर सत्ता व विपक्ष में चल रहे टकराव के बीच सरकार इस परिसर को दक्षता विश्वविद्यालय में तबदील करने पर विचार-विमर्श के मॉड में आई है।
सूत्रों के मुताबिक निजी क्षेत्र में दक्षता विश्वविद्यालय को स्थापित करने के लिए लैटर ऑफ इंटेंड जारी करने से पहले सरकार ने कमेटी गठित की है। इसी कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर मामला मंत्रीमंडल की बैठक में जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव की अगुवाई में कमेटी गठित की गई है, जो हिमालयन इंस्टीटयूट ऑफ इंजीनियरिंग व एजुकेशन परिसर का दौरा करेंगी।
प्लेसमेंट व नतीजों को लेकर भी रिकॉर्ड देखा जाएगा। सरकार ने दक्षता विश्वविद्यालय को लेकर अभिरूचि की रूचि (EOI) को लेकर आवेदन मांगे थे। सात ने आवेदन किया था, लेकिन चार ही निजी बातचीत के लिए हाजिर हुए। इसमें से हिमालयन ग्रुप को पात्र पाया गया है। हाल ही में मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने भी कहा था कि सरकार दक्षता विश्वविद्यालय को स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।
जानकार बताते हैं कि निजी क्षेत्र के अलावा सरकारी उपक्रम में भी इसी तरह का विश्वविद्यालय स्थापित करने को लेकर सुगबुगाहट चल रही है। शिक्षा विभाग के जानकार बताते हैं कि हिमालयन इंस्टीटयूट के पास विश्व स्तरीय ढांचा उपलब्ध है। इसके अलावा प्रचुर मात्रा में जमीन भी मौजूद हैै। राज्य सरकार कौशल विकास निगम की स्थापना भी कर चुकी है। इसमें 65 हजार युवाओं को तकनीकी ट्रेनिंग देने का फैसला लिया गया है।
इस निगम की स्थापना एशियन डेवैल्पमेंट बैंक के 640 करोड़ रुपए की मदद से की गई है। दरअसल बेरोजगारी के संवेदनशील मुद्दे पर भाजपा सरकार को घेरना चाहती है। सीएम ने कहा था कि कोई भी सरकार अनिश्चितकालीन समय तक बेरोजगारी भत्ता नहीं दे सकती है। दक्षता विश्वविद्यालय की स्थापना को चुनाव से जोडक़र भी देखा जाने लगा है। यदि विपक्ष बेरोजगारी के मुद्दे पर हावी होता है तो चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है।