नाहन (एमबीएम न्यूज): डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज की कमियों का मामला सोमवार को शीतकालीन सत्र के पहले दिन विधानसभा में गूंजा। विधायक के सवालों पर स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री ठाकुर कौल सिंह बोले, तीन महीनों में 127 रोगी सर्जरी के लिए रैफर हुए, क्योंकि बीमारी के लक्षणों की गंभीरता को देखते हुए जरूरी था।
मेडिकल कॉलेज में जूनियर रेजीडेंट के 25 के 25 पद रिक्त पड़े हुए हैं। इसके अलावा सीनियर रेजीडेंट के 18 में से 8 पद खाली हैं। टयूटर के 20 में से 6 पद रिक्त हैं। प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफैसर के 31 में से 18 पद खाली हैं। इसके अलावा असीस्टेंट प्रोफैसर के 30 में से 21 पद भरे हुए हैं।
डॉ. वाईएस परमार मेडिकल कॉलेज को 96 श्रेणियों में 701 कर्मचारी चाहिए, लेकिन अब तक महज 141 पद ही भरे गए हैं। स्टाफ नर्सिज के 141 में से 91 पद रिक्त हैं। जबकि वरिष्ठ प्रयोगशाला तकनीशियन के 49 में से 40 पद खाली हैं। सफाई कर्मचारियों के 54 के 54 पद खाली पड़े हुए हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि जब तक मेडिकल कॉलेज में परीक्षा केंद्र नहीं बनता, तब तक इसका लाभ राजकीय महाविद्यालय के परीक्षा हॉल से लिया जाएगा। सरकार के जवाब में मेडीकल कॉलेज के लेक्चर थियेटर बन चुके हैं। इसकी क्षमता 120 छात्रों की है। सैंट्रल लाईब्रेरी का जरूरी भवन उपलब्ध होने की बात कही गई। एमबीबीएस छात्रों के लिए हॉस्टल सुविधा जुटा लेने की बात भी कही गई है।
इसके अलावा एक हॉस्टल भवन लीज पर लेने का जवाब भी दिया गया है। मेडिकल कॉलेज में एमसीआई के मापदंडों के मुताबिक उपकरण उपलब्ध हैं। गौरतलब है, विधायक डॉ. राजीव बिंदल ने मेडिकल कॉलेज से जुड़े तीन सवाल पूछे थे। इसके मुताबिक कॉलेज में सरकार से स्टाफ फैकलिटी व उपकरण इत्यादि की स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया था। दूसरे में तीन महीनों के दौरान रैफर पैशेंटस की संख्या पूछी गई। तीसरी में रैफर करने की वजह पूछी गई।