मंडी (वी कुमार) : अनचाहे बच्चों को इधर उधर कचरे के डिब्बों या झाडिय़ों में फेंकने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए जिला बाल संरक्षण इकाई ने एक अनूठी पहल की है। ऐसे बच्चों का जीवन खतरे में न पड़े इसके लिए बाल संरक्षण इकाई ने क्षेत्रीय अस्पताल में ब्लड बैंक के सामने जहां पर शोर कम रहता है तथा लोगों का आना जाना भी कम होता है में एक शिशु स्वागत केंद्र की स्थापना की है।
यहां पर एक पालना रखा गया है ताकि यदि कोई मां या उसके परिजन अपने अनचाहे बच्चे को छोडऩा चाहे तो उसे पालने में रख कर जा सकते हैं। इससे कम से कम बच्चे की जान को खतरा नहीं होगा तथा बाल संरक्षण इकाई इसकी देखभाल कर सकती है। यह जानकारी जिला बाल संरक्षण अधिकारी मंडी दुनी चंद ठाकुर ने जिले के जोगिंदरनगर उपमंडल के चौंतड़ा में आयोजित बाल संरक्षण व देखभाल पर एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में दी। इस शिविर में खंड चिकित्सा अधिकारी लड़भड़ोल, प्रधानाचार्य चौंतड़ा स्कूल, पंचायत समिति के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष तथा जोगिंदरनगर थाना प्रभारी आदि ने भी भाग लिया।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी दुनी चंद ठाकुर ने इस शिविर में इस शिशु केंद्र की स्थापना बारे जानकारी दी। उन्होंने इस मौके पर समेकित बाल संरक्षण सेवाएं के गठन व कार्यप्रणाली पर चर्चा करते हुए बताया कि जिला बाल संरक्षण इकाई वर्ष 2014 से लगातार बच्चों के संरक्षण तथा पुर्स्थापन के लिए कार्य कर रही है। बाल अधिकारों का हनन एक घोर अपराध है जिसमें हनन करने वाले को सजा का भी प्रावधान है। शिविर में स्कूली बच्चों में बढ़ रही नशे की प्रवृति को रोकने पर गंभीरता से विचार किया गया।
इस मौके पर बाल कल्याण समिति मंडी के अध्यक्ष चंद्र सिंह ठाकुर ने पोस्को एक्ट 2012 तथा बाल कल्याण समिति के गठन तथा कार्यप्रणाली के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि बच्चों की देखभाल, संरक्षण तथा पुनस्र्थापन में समिति का अहम रोल है। बच्चों का लैंगिग शोषण करने पर भी सजा का प्रावधान है।
इस शिविर में संरक्षण अधिकारी शैलजा अवस्थी ने दत्तक ग्रहण (अडोप्शन) पर चर्चा करते हुए बताया कि अनाथ, बेसहारा, परियक्त तथा अभ्यार्पित बच्चों को दत्तक ग्रहण में देकर एक स्थाई पारिवारिक देखभाल दी जा सकती है। उन्होंने बताया कि हिंदु अडोप्शन एंड मेंटीनेंस एक्ट 1956 के तहत दत्तक ग्रहण किया जा सकता है।