शिमला (एमबीएम न्यूज): हाल ही में रामपुर तहसील के दुर्गम गांव कुंगल बाल्टी में 25 साल की ‘अनीतू’ की एक ऐसी दर्दनाक कहानी सामने आई थी, जिससे हर कोई दंग रह गया। उमंग फाउंडेशन के बेहद सराहनीय प्रयास से अनीतू नरक से बाहर निकल आई। लेकिन अब रा ज्य सरकार ने मानसिक विकलांग महिलाओं की कुल्लू स्थित एनजीओ को अनीतू सौंप कर सस्ते में पल्ला झाड़ लिया है। उमंग फाउंडेशन भी इस फैसले से नाखुश है।
File Photoअनीतू को पर्याप्त सुविधाएं देने के लिए फंड उपलब्ध नहीं करवाया गया है। अब गंभीर रूप से विकलांग अनीतू एनजीओ के हवाले ही रहेगी। उमंग फाउंडेशन के अजय श्रीवास्तव कहते हैं, उनकी जनहित याचिका पर हिमाचल हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है, जिसमें बेसहारा महिलाओं को सभी सुविधाएं देने को कहा गया था।
श्रीवास्तव का कहना है कि राजधानी के डॉक्टरों ने कहा था कि अनीतू को कोई बीमारी नहीं है। उनका यह भी आरोप है कि मीडिया के दबाव में अनीतू को शिमला तो पहुंचा दिया गया, लेकिन सही ढंग से जांच नहीं की गई। श्रीवास्तव का कहना है कि विकलांग महिला संस्थान कुल्लू में आवश्यक सुविधाएं नहीं है, जहां मनोरोगी महिलाओं को जमीन तक पर सुला दिया जाता है। कुल्लू के डॉक्टरों ने अनीतू को गंभीर स्त्री रोगों से ग्रस्त बताया है।
कुल मिलाकर यह तय है कि सामाजिक संघर्ष की नींव पडऩी चाहिए, ताकि अनीतू को उन तमाम अधिकारों को दिलाया जाए, जो सरकारें बड़े-बड़े दावे करती है।