नेरचौक (कपिल सेन): सिविल अस्पताल रत्ती में चिकित्सकों की कमी के चलते आयुर्वेदा ईलाज मरीजों को मिल रहा है। सोमवार अस्पताल में ओपीडी पर एक भी चिकित्सक न होने से ओपीडी एएमओए माध्यम से ही चलाई जा रही थी। अस्पताल में दिनभर सैंकड़ों मरीजों की भीड़ रही जिन्हें आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने ही देखा।
फलस्वरूप लोगों में सही उपचार न मिलने से खासा रोष देखने को मिला। सिविल अस्पताल की दयनीय स्थिति का यह आलम है कि अस्पताल प्रबन्धन चिकित्सकों की सेवायें राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत रखी गई टीम से ही ली जा रही है। जबकि उक्त टीम को स्कूलों में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भर्ती किया गया है। बता दें कि अस्पताल को सिविल अस्पताल दर्जा तो सरकार ने दे दिया मगर अस्पताल में सुविधायें नगन्य ही हैं।
अस्पताल प्रबन्धन आखिर कैसे आयुर्वेदिक चिकित्सों का सहारा लेकर काम चला रहा है, जिस पर सवालिया निशान उठने लाजमी है। वहीं सिविल अस्पताल बनने से छः पद चिकित्सकों के हैं, मगर उनमें से तीन ही चिकित्सक अस्पताल में तैनात है। उनकी सेवाएं 24 घण्टे लेने के बाद अस्पताल में चिकित्सकों की कमी है।
वहीं सिविल अस्पताल को कार्यकारी अधिकारी की देख-रेख में ही पिछले लगभग आठ महीनों से चलाया जा रहा है। साथ ही फार्मासिस्ट का पद भी रिक्त चल रहा है, अर्थात् सिविल अस्पताल बिना फार्मासिस्ट के चल रहा है। वहीं अस्पताल में अन्य कई पद भी रिक्त चले हुए हैं। अस्पताल में टैस्ट सुविधा उपलब्ध ही नहीं है। जो छुट-पुट टैस्ट हैं, वह भी अस्पताल में 11ः00 बजे के बाद नहीं किए जाते और मरीजों को बाहर करवाने के लिए मजबूर किया जाता है। जिस के चलते जनता में भारी रोष व्याप्त है।
साथ ही अस्पताल में दन्त चिकित्सक तो है परन्तू डैन्टल चेयर गत कई वर्षों से खराब पड़ी हुई है। जो नई चेयर आई है वह भी स्टोर में बिना लगाये वर्षों से धूल फांक रही है। फलस्वरूप चिकित्सक बिना काम के ही पगार ले रहा है। लोगों का कहना है कि प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मन्त्री आए दिन जनता को सुगम स्वास्थ्य प्रदान करने के दावे करते रहते हैं, और यही अलाप जाप पल्ला झाड लेते हैं कि हर माह के मंगलवार को डाकटरों के पद भरने हेतु साक्षत्कार किए जा रहें हैं। मगर अस्पतालों में न तो डॉक्टर है न ही खोली गई लैबों में सुविधा। जिस कारण लोग निजी अस्पतालों में महंगा ईलाज करवाने को विवश हो रहे हैं।
प्रदेश भर में चिकित्सकों की कमी चल रही है, सरकार को इस सम्बन्ध में समय-समय पर अवगत करवाया जाता है। अस्पतालों में डैपूटेशन पर कार्य चलाये जा रहे हैं। लेकिन लोगों के विरोध के चलते मुश्किल आ रही है। कई बार आयुर्वेदिक चिकित्सकों से भी सेवायें लेनी पड़ रही हैं। – देश राज शर्मा, मुख्य चिकित्सक अधिकारी मण्डी