शिमला (एमबीएम न्यूज़) : केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले के विरोध में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सोमवार को आक्रोश दिवस मनाकर अपना विरोध जताया और पीसीसी चीफ सुखविंद्र सिंह सुक्खू के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस नेताओं के एक प्रतिनिधिमण्डल ने राज्यपाल आचार्य देवव्रत को ज्ञापन सौंपा। सीएम वीरभद्र, कैबिनेट मंत्री विद्या स्टोक्स, कौल सिंह, जीएस बाली, मुकेश अग्निहोत्री, ठाकुर सिंह भरमौरी, धनी राम शांडिल, सीपीएस रोहित ठाकुर व विधायक अनिरूद्व सिंह समेत कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारी इस प्रतिनिधिमण्डल में शामिल हुए।
ज्ञापन के माध्यम से कांग्रेस नेताओं ने नोटबंदी से आम लोगों को हो रही दिक्कतों से राज्यपाल को अवगत करवाया। कांग्रेस ने कहा कि केंद्र के इस कदम से देश की आम जनता परेशान हो रही है तथा कोई भी ऐसा वर्ग नही है जिसे नुकसान न पंहुचा हो। छोटे व्यापारी, मजदूर, दिहाड़ीदार, किसान, बागवान व आम जनता इससे सर्वाधिक प्रभावित हुई है। इससे देश की अर्थव्वयस्था को भी नुकसान हुआ है और व्यापार ठप पडा है।
ज्ञापन में कहा गया है कि आम जन अपना काम छोड बैंकों के बाहर कतार में खडा है और पूरे देश में आर्थिक आपातकाल की स्थिती बनी हुई है तथा केंद्र सरकार अपने इस फैसले को सही तरीके से लागू करने में विफल रही है।
कांग्रेस ने ज्ञापन में आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नोटबन्दी का फैसला लेने से पहले कोई भी तैयारी नही की गई और न ही इस वावत जनता से कोई सुझााव लिये गये। सरकार को चाहिए था कि इस तरह का फैसला लेने से पहले पर्याप्त मात्रा में नोटो की छपाई करें, बैंकों को तैयार करें व नये नोटो को बैंको तक पंहुचाने या एटीएम को दुरूस्त करने जैसा कुछ भी नही किया गया बल्कि सीधा 500 और 1000 रूपये की नोटबन्दी का फैसला देश पर थोपा गया।
कांग्रेस नेताओं ने कहा नोटबन्दी के इस फैसले से 5 प्रतिशत लोगों को निशाना बनाने के लिए बाकी 95 प्रतिशत आम जनता को परेशानी में डाल दिया है। आज बैंकों से अपना ही पैसा मात्र 2000 रूपये निकालने के लिए प्रधानमंत्री ने आम जनता को बैंकों के बाहर कतार में लगने को मजबूर किया गया, इसके बावजूद भी लोगों को 15-15 घण्टे लाईनों में लग कर बैंकों में जमा अपना ही पैसा नही मिल पा रहा है और इस फैसले से अब तक पूरे देश में तकरीबन 60 से अधिक लोग अपनी जान गवां चुकें हैं।
ज्ञापन में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जगह-जगह अपने भाषणों में बोलने के बजाये संसद में इसका जवाब देना चाहिए और उन्हें तथा वित मंत्री अरूण जेतली को देश से माफी मांगनी चाहिए।
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