हरिपुरधार (एमबीएम न्यूज़) : तीन महीने के लंबे ड्राई स्पेल ने गिरीपार क्षेत्र के किसानों की चिंता बढ़ा दी है। सिंतबर माह में मक्की की कटाई का कार्य पूरा होने के बाद किसान तुरंत गेहूं व जौ की फसल की बुआई में जुट जाते हैं। कई क्षेत्रो में किसान लहसुन की बिजाई का कार्य भी सिंतबर व अक्तूबर महीने में करते है।
किसान आसमान की और टकटकी लगाए पिछले 2 महीने से बारिश का इंतजार कर रहे हैं, मगर इंद्र देवता मेहरबान नही हो रहे हैं। बारिश न होने से किसानो की मटर की लगभग 50 से 60 फीसदी फसल नष्ट हो गई है। गिरीपार क्षेत्र में तीन महीने तक चलने वाला मटर का सीजन डेढ़ महीने के भीतर ही सिमट गया है।
क्षेत्र के ऊपरी इलाको में किसानो ने अगस्त माह में ही लहसुन की बिजाई की थी मगर बारिश न होने के कारण लहसुन की फसल भी खेतो में पीली पड़ने लगी है। क्षेत्र में सूखे का गंभीर संकट पैदा हो गया है। सूखे के चलते कई प्राकृतिक जल स्त्रोतो का जलस्तर तेजी से घट रहा है, जिसके कारण दर्जनों गांव में पेयजल संकट की समस्या पैदा हो गई है।
सिंचाई के साधन कम
गिरीपार क्षेत्र में सिंचाई के साधन काफी कम है। समुचे गिरीपार क्षेत्र में लगभग 20 फीसदी किसानो के पास ही सिंचाई के साधन है। लगभग 80 फीसदी किसानो को सिंचाई के लिए प्राकृतिक बारिश पर ही निर्भर रहना पड़ता है। समय पर बारिश होने के कारण किसानो की 30 से 50 फीसदी सूखे के कारण नष्ट हो जाती हैं। किसानो को फसल की बुआई के लिए भी लंबे समय तक बारिश का इंतजार करना पड़ता है।
क्षेत्र में अगस्त माह के अंत में आखिरी बार बारिश हुई थी। उसके बाद से हरिपुरधार, नौहराधार, शिलाई, संगड़ाह, गताधार, नैनीधार, रोनहाट, पनोग, कोटी बोंच, चाड़ना व बोगधार आदि क्षेत्रो में बारिश की बूंद तक नही गिरी है। ड्राई स्पेल का सिलसिला यदि ऐसे ही लगातार जारी रहा तो अधिकतर किसानो की अधिकतर जमीन बंजर रह जाएगी। मौसम विभाग की और से किसानो के लिए अच्छी खबर नही है। विभाग के मुताबिक किसानो को बारिश के लिए अभी और इंतजार करना पड़ सकता है।