धर्मशाला (एमबीएम न्यूज) : नूरपुर के राजा के बाग स्थित मोंटेसरी कैम्ब्रिज स्कूल के अध्यापकों द्वारा एसैंबली सेशन में 30 छात्रों के बाल काटे जाने का मामला तूल पकड़ रहा है। इस बारे परिजनों ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी है।
अभिभावकों का आरोप है कि स्टूडेंट्स ने घर आ कर बताया कि वे स्कूल टीचर से अनुरोध करते रहे कि किसी नाई को बुला कर उनके बाल कटवा दें, लेकिन टीचर ने उनकी बात को अनसुना कर जोर जबरदस्ती बाल काट दिए। टीचर उन्हें रोज कहती थी कि आप स्कूल में पढऩे नहीं बल्कि फैशन करने आते हैं, जिसके चलते अनुशासन बनाए रखने के लिए बाल काट रही हूं। स्कूल प्रबंधन स्टूडेंट्स के बाल काटने के मामले में दलील दे रहा है कि स्कूल में अनुशासन बनाए रखने के लिए कुछ स्टूडेंट्स के बाल ट्रिम किए गए थे, न की काटे गए थे।
स्कूल प्रबंधन का कहना है कि स्टूडेंट्स अलग-अलग हेयर स्टाइल बना कर स्कूल आ रहे थे, जिसके चलते स्कूल का अनुशासन भंग हो रहा था। इसी के चलते स्कूल प्रबंधन ने सभी स्टूडेंट्स को अनुशासन का पाठ पढ़ाते हुए शुक्रवार सुबह असेंबली सेशन में स्कूल में ही 30 स्टूडेंट्स के सामूहिक तौर पर बाल कटवा दिए। जैसे ही यह सूचना स्टूडेंट्स के अभिभावकों को मिली तुरंत सभी अभिभावक राजा का बाग स्थित निजी स्कूल परिसर में पहुंच कर स्कूल प्रबंधन के खिलाफ प्रदर्शन करने लगे।
इनमें से चार स्टूडेंट्स के अभिभावकों ने नूरपुर पुलिस थाना में स्कूल प्रबंधन के खिलाफ लिखित में शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत मिलने के तत्काल बाद डीएसपी नूरपर नवदीप ठाकुर ने राजा का बाग स्थित मोंटेसरी कैम्ब्रिज स्कूल पहुंच कर प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स के अभिभावकों के ब्यान कलमबद्ध कर मामले की जांच के लिए विशेष पुलिस टीम गठित कर दी है। वहीं पुलिस द्वारा स्कूल प्रबंधन से की गई पूछताछ में स्कूल प्रिंसिपल ने माना कि उनसे अनुशासन के नाम पर गलती हो गई है।
हालांकि कुछ स्टूडेंट्स के अभिभावकों इस कार्रवाई को सही भी बताया है। स्कूल परिसर में प्रदर्शन कर रहे अभिभावकों के समर्थन में भाजपा नेता व पूर्व विधायक राकेश पठानिया घटनास्थल पर पहुंच कर स्कूल प्रबंधन द्वारा की गई इस कार्रवाई की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए इसे तुगलकी फरमान करार दिया है। राकेश पठानिया ने कहा कि नूरपुर के इतिहास में किसी स्कूल में यह घटना पहली बार घटित हुई है।
पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने के साथ-साथ स्कूल प्रबंधन के खिलाफ न्यायलय में भी अपराधिक मामला दर्ज करवाया जाएगा। स्कूल प्रबंधन की इस प्रताडऩा के चलते अधिकतर स्टूडेंट्स स्कूल छोडने को तैयार हैं, लेकिन वार्षिक परीक्षाएं नजदीक होने के कारण वह इस कदम को आगामी शैक्षणिक सत्र में उठाना चाहते हैं।