शिमला (एमबीएम न्यूज): हिमाचल प्रदेश में 2 हजार दंत चिकित्सक बेरोजगार घूम रहे हैं। दंत चिकित्सकों का केडर महज 291 पदों का है, जिनमें 102 पद ही भरे गए हैं। बाकी रिक्त चल रहे हैं। बीते 4 सालों से कमीशन से एक भी पद नहीं भरा गया है। पिछली बार वर्ष 2013 में 35 पद कमीशन से भरे गए थे। स्वास्थ्य निदेशायल कई बार पदों को भरने का प्रस्ताव सरकार को भेज चुका है, लेकिन सरकार इस पर गंभीर नहीं है।
7 एमबीबीएस चिकित्सकों पर 1 दंत चिकित्सक रखने का प्रावधान है। लंबे समय से रोजगार न मिलने से दंत चिकित्सक बेकार हो गए हैं। सरकार ने यदि अतिशीघ्र दंत चिकित्सकों के कैडर पद नहीं बढ़ाए और भरे, तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा और सरकार के खिलाफ सडक़ पर उतरकर प्रदर्शन किया जाएगा।
आईजीएमसी डैंटिस्ट कॉलेज की एससीए के प्रशिक्षु डॉक्टरों व छात्रों के पत्रकार सम्मेलन में एससीए के उपाध्यक्ष अनिल ने कहा कि रोजगार न मिलने से दंत चिकिस्तक बेहद तनाव में जी रहे हैं। इतनी मंहगी पढ़ाई करने के बावजूद चिकित्सकों को नौकरी के लिए भटकना पड़ रहा है। सरकार ने बीते 4 वर्ष से दंत चिकित्सकों का एक भी पद विज्ञापित नहीं किया है।
78 कम्यूनिटी हैल्थ सेंटरों में 103 दंत चिकित्सक तैनात हैं जबकि कई सीएचसी में दंत चिकित्सकों के पद रिक्त चल रहे हैं। उन्होंने सरकार से हर साल दंत चिकित्सकों के पद भरने की स्वीकृति देने का अनुरोध किया है। एक अन्य डाक्टर अंकुश का कहना था कि सरकार की तरफ से हमें अपने निजी क्लीनिक चलाने के लिए कहा जाता है, लेकिन एक क्लीनिक शुरू करने में कम से कम 8 से 10 लाख का खर्चा आता है और यह हमारे लिए संभव नहीं है।
उन्होंने यहां तक कह दिया कि यदि सरकार दंत चिकित्सक के पद भरने पर गंभीर नहीं है, तो उसे सरकार व निजी डेंटिस्ट कॉलेजों की सीटें घटा कर आधी कर देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक वर्ष डेंटिस्ट कॉलेजों से 300 डॉक्टर डिग्री हासिल कर निकलते हैं। लेकिन ये सब बेरोजगार घूम रहे हैं।
आईजीएमसी डैंटिस्ट कॉलेज में डेंटिस्ट की पढ़ाई कर रहे एससीए के एक प्रशिक्षु छात्र ने बताया कि इस सरकार डैंटल कॉलेज के स्टडी रूमों के हालात बेहद खराब हैं।
स्टडी रूमों में प्रोजेक्टर तक की सुविधा नहीं है। बीते डेढ माह से कैंटीन बंद पड़ी है। सात साल से हॉस्टल की सुविधा नहीं है अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को ग्लब्स व अन्य सामान बाहर से लाने को कहा जाता है।