मंडी (वी कुमार) : बड़े से बड़े जख्म के घाव भर जाते हैं। लेकिन शायद अब तक बिंद्रावणी बस हादसे के घाव नहीं भरे हैं। ऐसे में एक जांबांज मां मेनका की बहादुरी की दास्तां शायद अब तक भी आप भूल न पाए हों।
मगर हैरान कर देने वाली बात यह है कि समूचे प्रदेश समेत सोशल मीडिया में कतारबद्ध होकर इस जांबांज मां को जमकर सलाम किया गया। लेकिन अब तक प्रशासन ने बहादुर मेनका को सम्मानित करने के काबिल तक नहीं समझा है। लिहाजा एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने इस मामले को दोबारा उठाने का फैसला लिया, ताकि बहादुरी की मिसाल पेश कर देने वाली मेनका को उचित मंच पर सम्मानित किया जा सके।
समूची देवभूमि में बहादुरी के कई किस्से सामने आए, लेकिन यह किस्सा जुदा था। कल्पना कीजिए अचानक ही बस खाई में लुढक़ती है। मां की गोद से 10 महीने का बस व चार साल की बेटी छिटक जाते हैं। खुद को बचाया ही, साथ ही नन्हें बच्चों को ब्यास में डूबने से भी बचा लिया। इस तरह की मिसाल आज तक सामने नहीं आई थी।
बकायदा एमबीएम न्यूज नेटवर्क के प्रतिनिधि ने अस्पताल में मेनका से मुलाकात कर इस तरह की मिसाल पेश करने पर सेल्यूट किया था। बच्चे मां के दूध का कर्ज नहीं चुका सकते। यहां मां के दूध के कर्ज के साथ-साथ मेनका ने अपने बच्चों को एक नई जिंदगी दी। मेनका की बहादुरी के किस्से को सामने आए एक सप्ताह बीत चुका है, लेकिन अब तक कोई ऐसी सूचना नहीं मिली है, जिसमें प्रशासन या फिर किसी राजनीतिज्ञ ने इस जांबांज महिला को सलाम करने की सोची हो। इसी बीच प्रशासन से इस मामले पर बात करने का प्रयास किया गया, लेकिन शाम तक बात नहीं हो पाई।
अगर मेनका की बहादुरी के किस्से को पढऩे से चूके थे तो इस लिंक पर पढ़ सकते हैं।