बडू साहिब (एमबीएम न्यूज): भारत में मनोरोग के लिए सुप्रशिक्षित नर्सों को तैयार किए जाने की भारी कमी है, जिसकी वजह से नशा मुक्ति केंद्रों, मनोरोग अस्पतालों और वृद्धाश्रमों में मनोरोग नर्सिंग कर्मियों की कमी रहती है। बैंगलोर के निमहन्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में भी 45 सीटें हैं, जिनमें से इस साल सिर्फ 9 भरी जा सकी। इसका मुख्य कारण यह है कि भारत में मनोरोग नर्सों के लिए प्रचार और प्रोत्साहन की कमी है।
देश की 130 करोड़ आबादी के लिए सिर्फ 800 कार्यरत मनोरोग नर्सें हैं और 200 छात्र हर साल इसका कोर्स करके निकलते हैं। इस स्थिति की वजह से मनोरोग संस्थानों में अप्रशिक्षित नर्सों को नौकरी पर रखना पड़ता है जिससे उन केंद्रों पर अप्रिशिक्षित नर्सिंग स्टाफ को ट्रेनिंग देने का बोझ पड़ता है। यह कहना है बैंगलोर के निमहन्स संस्थान के नर्सिंग विभाग की प्रोफेसर डॉक्टर के ललिता का, जो यहां ‘नर्सिंग में थ्योरी और प्रेक्टिसिज के बीच दूरियां कम करना’ विषय पर हुई छठी अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में एक महत्वपूर्ण वक्ता के तौर पर पहुंची थे।
इसी विषय पर बात करते हुए अकाल नशा मुक्ति केंद्र, बड़ू साहिब के निदेशक डॉ राजिंद्र सिंह ने कहा कि मनोरोग नर्सिंग की छोडि़ए, हमारे पास तो नशामुक्ति केंद्रों के लिए योग्य मनोरोग डॉक्टर भी नहीं है इसलिए हमें मरीजों के इलाज के लिए जर्मनी, अमेरिका, कनाडा जैसे देशों से मनोचिकित्सक भर्ती करने पड़ते हैं। इस अंतर को तुरंत खत्म करने की सख्त जरूरत है और सरकार को छात्रों को मनोरोग में विशेषज्ञता हासिल करने और देश में ही रहकर यहां लोगों की मदद करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
21-22 अक्तूबर की इस दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कान्फ्रेंस में तीन देशों अमेरिका, नेपाल और ओमान के अलावा भारत के 12 राज्यों के वक्ताओं ने हिस्सा लिया और करीब 500 नर्सिंग छात्रों से अपने विचार सांझा किए। इस कान्फ्रेंस के आयोजन का मकसद नर्सिंग क्षेत्र में वैज्ञानिक प्रगति के बारे में अवगत करवाना और मेडिकल संस्थाओं में थ्योरी और लोकप्रिय प्रेक्टिसिज के बीच अंतर को खत्म करने पर जोर देना था।
विदेश से पहुंचे वक्ताओं में फिलेडेल्फिया, अमेरिका के ड्रेक्सल यूनिवर्सिटीज कॉलेज और नर्सिंग के असोसिएट क्लीनिकल प्रोफेसर डॉ जिल डस्टईन, डॉ मैरीलऊ मैकहग व डॉ कैरोल ओकुपनियक, सूडान के सुल्तान काबूस यूनिवर्सिटी के अडल्ट हेल्थ व क्रिटिकल केयर विभाग के प्रमुख प्रो श्रीदेवी बालाचंद्रन और धरन, नेपाल स्थित बीपी कोईराला इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग के प्रो. तारा शाह शामिल थे।